वैयर हाउस की रहस्यमयी रात
वैयर हाऊस के एक कमरे में संजना गहरी नींद में सो रही थी। माहौल में सन्नाटा था, केवल हल्की-हल्की हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी। अचानक, उसकी नींद टूट गई। उसने महसूस किया कि उसके पैर में तेज़ दर्द हो रहा था। दर्द की अनुभूति होते ही उसकी आँखों के सामने एक छवि उभर आई—हर्षवर्धन की छवि। उसे याद आया कि कैसे हर्षवर्धन ने खुद अपने हाथों से उसके पैर में दवा लगाई थी।
संजना के मन में सवालों का सैलाब उमड़ पड़ा— "आखिर हर्षवर्धन इतना कठोर होने के बावजूद भी इतना कोमल कैसे हो सकता है?" उसने उसे किडनैप क्यों किया? वह ऐसा कौन सा बदला लेना चाहता है, जिसकी वजह से उसने मुझे अपनी कैद में रखा है?
कमरे में हल्की रोशनी फैली हुई थी। संजना ने चारों तरफ देखा, लेकिन वहाँ केवल सन्नाटा था। वह बिस्तर पर बैठी सोच रही थी कि कैसे इस रहस्यमयी इंसान के बारे में और जान सके। हर्षवर्धन जितना सख्त दिखता था, उतना ही रहस्यमयी भी था।
एक पुराना दर्द
उसी वक्त, वैयर हाऊस के दूसरे कमरे में हर्षवर्धन खड़ा था। उसके सामने दीवार पर एक तस्वीर लगी थी। तस्वीर में एक लड़की मुस्कुरा रही थी, उसकी आँखों में जीवन की चमक थी। हर्षवर्धन की आँखें दर्द से भर आईं। उसकी नज़रें उस तस्वीर को ऐसे देख रही थीं जैसे वो उसे छूकर उसके पास वापस ले आएगा। यह लड़की कोई और नहीं बल्कि निशा थी—वो लड़की जिसे उसने अपने सपनों में मरते हुए देखा था।
हर्षवर्धन के दिल में यादों का तूफान उठने लगा। उसकी नज़रों के सामने अतीत के दृश्य घूमने लगे—वो पल जब निशा की हंसी उसकी दुनिया थी, वो दिन जब उसकी दुनिया उजड़ गई थी। उसने गहरी सांस ली, उसकी आँखें अब नफरत से भर चुकी थीं।
उसने धीरे से कहा, "निशा, भले ही तुम आज इस दुनिया में नहीं हो, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि तुम यहीं कहीं हो। तुम्हारी मौत का ज़िम्मेदार मैं जानता हूँ... जिस आदमी की वजह से तुम मुझसे दूर चली गईं, आज उसकी बेटी मेरी कैद में है। मैं उसे ऐसी सज़ा दूँगा कि वह आदमी मौत की भीख माँगेगा, लेकिन उसे मरने की इजाजत भी मेरी मर्जी से मिलेगी!"
हर्षवर्धन का चेहरा कठोर हो गया। उसकी आँखों में बदले की ज्वाला भड़क रही थी। वह जानता था कि उसकी लड़ाई आसान नहीं होगी, लेकिन अब उसके पास उस आदमी की सबसे कीमती चीज़ थी—उसकी बेटी संजना।
संजना के सवाल और हर्षवर्धन का जुनून
संजना अभी भी अपने कमरे में बैठी सोच रही थी। उसने महसूस किया कि हर्षवर्धन का व्यवहार उसके साथ अजीब था। कभी वह उसे ज़ोर से धमकाता, कभी उसका दर्द समझकर उसकी मदद करता। वह जितना क्रूर था, उतना ही रहस्यमयी भी था।
संजना ने सोचा, "क्या हर्षवर्धन का मेरे परिवार से कोई पुराना रिश्ता है? उसने मुझे ही क्यों किडनैप किया?"
उधर, हर्षवर्धन के दिमाग में केवल एक ही बात चल रही थी—"अब तक तो संजना के पिता को उसकी किडनैपिंग की खबर मिल चुकी होगी। देखते हैं, वह अपनी बेटी को बचाने के लिए कितनी दूर तक जाएगा!"
रात गहरी होती जा रही थी, लेकिन इस वैयर हाऊस में एक तूफान उठने वाला था—एक ऐसा तूफान जो कई राज़ खोलेगा और कई ज़िंदगियों को तबाह करेगा।संजना किसी तरह अपने बिस्तर से उठ ही रही थी कि वो तभी गिरने ही वाली थी कि तभी उसे हर्षवर्धन ने आकर गिरने से बचा लिया | दोनों एक दूसरे कि आंखों में देखने लगे | दुश्मनी और प्यार कि मिली जूते एहसास दोनों को हर बार घर लेते थे | मासो सी संजना जिसे दोस्त और परिवार संजू कहते थे | आज तक कोई लड़का इस तरह उसके करीब नहीं आया था | संजना अपने ही किडनैप को देख बार बार उसमें खो सी जाती थी