एक टुकड़ा आसमान
बटलर ने फूलों का एक बुके लाकर समीर को दिया। समीर ने कार्ड निकाल कर पढ़ा। उसके एक मित्र ने जन्मदिन की शुभकाना भेजी थी।
"हैप्पी बर्थ डे सर। आज आप बहुत हैंडसम लग रहे हैं।"
बटलर ने अदब के साथ कहा। समीर ने बुके बटलर को पकड़ाते हुए पूछा,
" सारी तैयारियां हो गईं। "
" जी सर "
" ठीक है तुम जाओ "
बटलर चला गया। समीर अपनी व्हीलचेयर लेकर खिड़की पर आया। यहाँ से स्विमिंग पूल दिखाई पड़ रहा था। आज उस पूल पर वह अपने दिल की बात कहने वाला था। समीर को मारिया का इंतज़ार था।
मारिया उस समय समीर के जीवन में आई थी जब वह अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा था। कभी रफ़्तार के पहियों पर भागती उसकी ज़िंदगी अस्पताल के बिस्तर पर आकर ठहर गई थी। फॉर्मूला वन रेसर अब बिस्तर पर हिल डुल भी नहीं सकता था। सारा वक़्त वह ईश्वर से इस जीवन को समाप्त कर देने की प्रार्थना करता रहता था। निराशा के उस समय में मारिया उम्मीद की किरण बन कर आई।
मारिया भारतीय नृत्य शैलियों पर शोध करने के लिए भारत आई थी। इसी दौरान उसने एक संस्था को ज्वाइन किया जो ऐसे लोगों की सहायता एवं प्रोत्साहन के लिये काम करती थी जो रीढ़ की हड्डी में चोट लग जाने के कारण चलने फिरने में असमर्थ हो गए थे। समीर उसी संस्था के ज़रिए मारिया से मिला था। उस समय उसके भीतर जीने की इच्छा लगभग खत्म हो चुकी थी।
मारिया पर ज़िम्मेदारी थी कि वह समीर को जीने के लिए प्रोत्साहित करे। वह एक ज़िंदादिल एवं साकारत्मक विचारों वाली लड़की थी। उसकी मेहनत और लगन ने समीर में फिर से जीवन जीने की चाह पैदा कर दी। उसने एक नए सिरे से जीवन की शुरुआत की। व्हीलचेअर के पहियों पर ही सही किंतु उसके जीवन ने गति पा ली थी। यहीं से मारिया और समीर के बीच दोस्ती की शुरुआत हुई। निराशा के दौर से बाहर निकले समीर को कोई ऐसा दोस्त मिला था जिससे वह दिल खोलकर बात कर सकता था।
धीरे धीरे समीर मारिया की तरफ आकर्षित होने लगा। मारिया की तरफ अब उसका झुकाव दोस्ती से अधिक था। प्रारंभ में उसने अपनी इन भावनाओं को दबाने का प्रयास किया। उसने स्वयं को समझाया कि जो वह चाहता है वह संभव नहीं। फिर यह ज़रूरी तो नहीं कि मारिया भी ऐसा ही महसूस करती हो। किंतु स्वयं को समझाने में वह सफल ना हो सका। उसने सोचा कि वह सिर्फ एक बार अपने दिल की बात मारिया को बता दे। फिर मारिया चाहे जो फैसला करे। वह उसके फैसले को स्वीकार कर लेगा।
उसने अपनी बात कहने के लिए अपने जन्मदिन को चुना। यही कारण था कि उसने कोई पार्टी आयोजित नहीं की थी। वह शाम केवल उसकी और मारिया की थी। अपने बंगले के स्वीमिंग पूल पर वह मारिया की प्रतीक्षा कर रहा था। कुछ ही समय बाद मारिया आ गई। उसने सफ़ेद रंग की साड़ी पहनी थी जिस पर रुपहला काम किया गया गया था। वह बहुत सुंदर दिख रही थी।
"हैप्पी बर्थ डे...."
मारिया ने गर्मजोशी के साथ कहा और उसके गाल पर एक चुंबन अंकित कर दिया। समीर ने कहा,
"आज बेहद खूबसूरत लग रही हो।"
"थैंक्स और बहुत खुश भी हूँ...."
मारिया ने पास बैठते हुए कहा। उसके चेहरे पर एक चमक दिखाई पड़ रही थी। समीर ने पूछा,
"समथिंग स्पेशल...."
मारिया ने मुस्कुरा कर कहा,
"हाँ है, पर वो बाद में पहले केक काटते हैं।"
समीर ने केक काटा और पहला टुकड़ा मारिया को खिला दिया। मारिया ने भी वैसा ही किया। इसके बाद मारिया ने अपना पर्स खोला और उसमें से एक छोटी सी डिब्बी निकली। उसमें एक चेन थी जिसमें अंग्रेजी के अक्षर एस के आकार का लॉकेट था। उसने वह चेन समीर को पहनाते हुए कहा,
"मेरी ज़िंदगी में खुशियां लाने के लिए थैंक्स। मेरी ज़िंदगी के सबसे खास इंसान के लिए।"
फिर शैम्पेन की तरफ इशारा कर कहा
"लेट्स सेलिब्रेट....."
समीर ने शैम्पेन की बोतल खोली और दो गिलासों में डाला। दोनों ने अपने अपने गिलास उठा कर टकराए।
समीर ने एक घूंट भरते हुए पूछा,
"अब बताओ क्या बात है ?"
मारिया ने कुछ गंभीर स्वर में कहा,
"समीर इंडिया आने से पहले तक मैं बहुत अकेली थी। मेरा कोई साथी नहीं था। उस वक्त मैं बहुत अकेली थी।"
कुछ रुककर उसने कहा,
"मेरे मॉम डैड में कभी नहीं बनी। उनके बीच आए दिन झगड़े होते थे। इसलिए मुझे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया। वहाँ जाकर मैं और अकेली हो गई। मैं अपने आप में रहती थी। किसी से बात नहीं करती थी। कालेज में भी मेरा यही हाल था। इसलिए वहाँ भी मेरा कोई दोस्त नहीं बना।"
एक सिप लेने के बाद उसने समीर की तरफ देख कर कहा,
"इस अकेलेपन में मैं भीतर ही भीतर घुट रही थी। मुझे इस स्तिथि से निकालने में मेरे चर्च के प्रीस्ट फादर जोनाथन ने मेरी मदद की। उन्होंने मुझे सही राह दिखाई। मुझे निराशा के भंवर से निकाल कर एक नई उम्मीद दी। मैंने अपने आप को दूसरों की सेवा में लगा दिया।"
समीर बहुत ध्यान से सुन रहा था। आज से पहले मारिया ने कभी उसे अपने पिछले जीवन के बारे में नहीं बताया था। मारिया कुछ देर रुकी। उसने एक ही घूंट में गिलास खाली कर दिया और आगे कहना शुरू किया,
"दूसरों की सेवा करते हुए अब मैं बहुत अच्छा महसूस करती थी। तभी मुझे भारतीय नृत्य शैलियों पर शोध करने के लिए इंडिया आने का मौका मिला। यहाँ आकर मैंने वह एनजीओ ज्वाइन किया जिसके ज़रिए मैं तुमसे मिली। तुम में मुझे एक सच्चा दोस्त मिला। तुम से मैं खुल कर बातें करने लगी। मेरे जीवन का अकेलापन मिटने लगा।"
मारिया समीर की तरफ देखकर मुस्कुराई। उसने कहा,
"तुम सोच रहे होगे कि आज अचानक मैं तुमसे यह सब क्या कहने लगी। दरअसल यह सब सिर्फ तुम्हें बताने के लिए कि तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो। तुम मिले तो जीवन में एक सच्चे साथी की कमी पूरी हो गई। मैं जो यह मानती थी कि कभी मेरा कोई हमदर्द नहीं होगा तुम्हें अपनी ज़िंदगी में पाकर निहाल हो गई।"
मारिया जिस तरह से यह सब कह रही थी उससे समीर को यकीन हो रहा था कि वह भी मन ही मन उसे चाहती है। मारिया के चेहरे पर खुशी छलक रही थी। उसने आगे कहा,
"समीर आज तुम्हारे साथ मैं अपने जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी बांटने जा रही हूँ। समीर मुझे मेरा प्यार मिल गया है।"
यह कहकर उसने समीर की तरफ देखा। मारिया की आँखों में एक चमक थी। समीर के दिल में अपना नाम सुनने की उम्मीद थी। मारिया ने कहा,
"नील एक बहुत ही अच्छा इंसान है। मैं उसके साथ बहुत खुश रहूँगी। हम दोनों अगले संडे चर्च में शादी करने जा रहे हैं।"
मारिया अपनी जगह से उठी और समीर को गले लगा लिया। समीर के दिल में एक तूफान सा उठा था। अपनी जगह पर वापस बैठकर मारिया ने कहा,
"नील और मेरी शादी में तुम हमारे विशेष मेहमान हो। तुम्हें ज़रूर आना है।"
अपनी भावनाओं को काबू करते हुए समीर ने कहा,
"हाँ ज़रूर....."
डिनर करते हुए मारिया नील के बारे में ही बात करती रही। वह बता रही थी कि नील उसके लिए सबसे बेहतर जीवनसाथी साबित होगा। वह बहुत खुश थी। उसका कहना था कि समीर की दोस्ती ने उसे अपने ऊपर यकीन करना सिखाया। समीर अपनी निराशा से निकल कर बाहर आया तो उसने भी अपने अंदर की उस भावना को निकाल दिया कि उसे कभी सच्चा प्यार नहीं मिल सकता है। उसके इसी विश्वास के कारण वह नील से मिल पाई।
बातों बातों में काफ़ी समय बीत गया था। अचानक मारिया का ध्यान अपनी घड़ी की तरफ गया। वह जाने के लिए उठ खड़ी हुई। उसने कहा,
"अब चलती हूँ। संडे को तुम्हारा इंतज़ार करूँगी।"
समीर मारिया को जाते हुए देख रहा था। उसने अपने जज़्बातों को काबू करने की कोशिश की किंतु फिर भी आँखें छलक पड़ीं। उसने आसमान की तरफ देखा। आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे। लेकिन उसके दिल में सिर्फ़ अंधेरा था।
टूटा हुआ दिल लेकर समीर बिस्तर पर लेटा था। आज बहुत दिनों के बाद उसे वैसी ही लाचारगी महसूस हो रही थी जैसे पहले कभी होती थी। उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। गुस्से में उसने ईश्वर से शिकायत करते हुए कहा,
"अजीब खेल है तुम्हारा। पहले मारिया को मेरी ज़िंदगी में लाए। अब इस तरह से मेरा दिल तोड़ दिया। अगर यही करना था तो उसे मेरी ज़िंदगी में लाए क्यों थे ? मैं तो जीना भी नहीं चाहता था। फिर क्यों मेरे दिल में यह उम्मीद जगाई ?"
यह कहकर वह रोने लगा। कुछ देर तक वह इसी तरह रोता रहा। कुछ देर बाद शांत होकर लेट गया। जब मन शांत हुआ तो मन में एक विचार आया। उसने अपने आप से सवाल किया।
"क्यों रो रहे हो ? तुमने तो यही तय किया था कि मारिया से अपने मन की बात कहोगे। उसके बाद वह जो भी फैसला लेगी उसे चुपचाप स्वीकार कर लोगे। तो फिर उसका फैसला स्वीकार क्यों नहीं कर रहे ? शिकायत कर रहे हो कि ईश्वर ने उसे तुम्हारी ज़िंदगी में क्यों भेजा ? एक बार उस समय को याद करो जब तुम ज़िंदगी से एकदम निराश हर एक पल को बोझ समझ कर जी रहे थे। अगर मारिया तुम्हारे जीवन में ना आती तो सोचो तुम्हारी क्या हालत होती। मौत तो अपने समय पर आती। लेकिन तुम हर पल सजा की तरह जीते।"
अपने मन में उठे इस सवाल पर समीर विचार करने लगा। सचमुच वह कठिन समय था। वह हताशा के पिंजरे में फड़फड़ाते पंछी की तरह था। मारिया ने उसे निराशा से मुक्त कराया। उसके आने के बाद उसकी ज़िंदगी बहुत बदल गई थी। वह अब मौत के बारे में नहीं बल्कि जीने के बारे में सोचता था। उसके मन में फिर एक सवाल आया।
"तुम आज शिकायत कर रहे हो। कभी ईश्वर की उस कृपा के लिए धन्यवाद दिया ?"
समीर अपने बर्ताव पर शर्मिंदा था। वह सोच रहा था कि बात एकदम सच है। ईश्वर की कृपा से मारिया उसके जीवन में आई और उसे उस बेबसी की ज़िंदगी से बाहर निकाला। अब वह एक नई शुरुआत करने की सोच रहा था। उसने मारिया से प्यार किया था पर यह ज़रूरी नहीं था कि वह उसके प्यार को स्वीकार कर लेती। यह बात वह जानता था फिर भी शिकायत कर रहा था। उसने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया।
समीर जब चर्च पहुँचा तो मारिया नील के साथ उसका इंतज़ार कर रही थी। उसके पहुँचने के बाद पादरी ने शादी की रस्म शुरू की।
समीर पूरे मन से मारिया और नील की खुशी में शामिल हुआ था। वह सोच रहा था कि भले ही उसका प्यार अब केवल एक एहसास बन कर रहेगा। पर उसके दिल के आसमान में वह एक तारा बन कर हमेशा चमकता रहेगा।