Garbha Sanskar in Hindi Women Focused by Praveen Kumrawat books and stories PDF | गर्भ संस्कार - भाग 6 - एक्टिविटीज़–05

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गर्भ संस्कार - भाग 6 - एक्टिविटीज़–05

प्रार्थना:
तूने हमें उत्पन्न किया, पालन कर रहा है तू। 
तुझसे ही पाते प्राण हम, दुखियों के कष्ट हरता तू ॥ 
तेरा महान् तेज है, छाया हुआ सभी स्थान। 
सृष्टि की वस्तु-वस्तु में, तू हो रहा है विद्यमान ॥ 
तेरा ही धरते ध्यान हम, मांगते तेरी दया। 
ईश्वर हमारी बुद्धि को, श्रेष्ठ मार्ग पर चला ॥

मंत्र:
ॐ महाज्वालाय विद्महे। 
अग्निदेवाय धीमहि। 
तन्नो अग्निः प्रचोदयात्॥

अर्थः हे अग्निदेव! आप हमें ज्ञान, ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करें।

पहेली:
एक बार आता जीवन में, नहीं दुबारा आता। 
जो मुझको पहचान न पाता, आजीवन पछताता ॥

गर्भ संवाद:
मेरे प्यारे शिशु, मेरे बच्चे, मैं तुम्हारी माँ हूं…… माँ!

— आज मैं तुम्हे तुम्हारे कुछ भौतिक गुणों की याद दिला रही हूँ जो तुम्हे परमात्मा का अनमोल उपहार हैं।

— परम तेजस्वी ईश्वर का अंश होने के कारण तुम्हारे मुख पर सूर्य के समान दिव्य तेज और ओज रहता है।

— तुम्हारे नैन-नक्श तीखे और बहुत सुन्दर है, तुम्हारा सुन्दर मुखड़ा सबको बहुत प्यारा लगता है।

— तुम्हारे चेहरे का रंग गोरा और सबका मन मोह लेने वाला है।

— तुम्हारी हर अदा सुन्दरतम ईश्वर की झलक लिए हुए है, तुम्हारा माथा चौड़ा है, तुम्हारी आँखें बड़ी है, तुम्हारी भौहें तीर के आकार की तरह बड़ी है, तुम्हारी पलकें काली और बड़ी हैं।

— तुम्हारे होंठ फूल की तरह कोमल और सुन्दर हैं, तुम्हारे चेहरे पर हर पल एक मधुर मुस्कान छाई रहती है।

— तुम्हारी बुद्धि कुशाग्र है, तुम्हारी वाणी मधुर और सम्मोहन करने वाली है।

— तुम बहुत अच्छे खिलाडी हो, तुम्हारा शरीर तंदुरुस्त और फुर्तीला है। (किसी विशेष खेल के प्रति शिशु के मन में प्रतिभा विकसित करनी हो तो यहाँ कह सकते हैं)

— तुम बहुत सुंदर दिखते हो, बड़े होने पर भी तुम्हारी सुंदरता और निखरती जाएगी।

— तुम्हारी हर अदा बहुत निराली और अनोखी है।

— घर के सभी सदस्यों का आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है। तुम्हारे रूप में मुझे जैसे दिव्य संतान प्राप्त हो रही है, तुम्हे पाकर में बहुत प्रसन्न हूँ, जल्द ही इस सुन्दर संसार में तुम्हारा आगमन होगा। तुम्हारा स्वागत करने के लिए सभी बेचैन है।

कहानी: पिता का वचन
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़का अपनी माँ और पिता के साथ रहता था। उसका नाम राघव था। राघव के पिता गाँव के सबसे समझदार और ईमानदार व्यक्ति थे। वह गाँव में सभी का आदर करते थे और हमेशा अपने परिवार को सच्चाई और मेहनत का महत्व सिखाते थे। राघव अपने पिता से बहुत प्यार करता था और उनको आदर्श मानता था।

राघव के पिता हमेशा उसे कहते थे, “बेटे, जीवन में जो भी करना, ईमानदारी से करना। किसी भी काम को अधूरा मत छोड़ना, और जो वचन तुम दोगे, उसे पूरा करना।” राघव अपने पिता की बातों को हमेशा ध्यान से सुनता और उनके बताए रास्ते पर चलता। 

एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला हुआ। राघव के पिता ने उसे मेला देखने की अनुमति दी, लेकिन एक शर्त के साथ। उन्होंने कहा, “राघव, तुम मेला जरूर देख सकते हो, लेकिन जब तक मैं काम से वापस नहीं आ जाता, तुम घर का काम संभालो। मैं जानता हूँ कि तुम ईमानदार हो, इसलिए मुझे विश्वास है कि तुम अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करोगे।” राघव ने अपने पिता को वचन दिया कि वह घर का काम पूरे ध्यान से करेगा और बिना किसी बहाने के।

मेले में पहुँचते ही राघव को ढेर सारी खुशियाँ मिलीं। वहाँ झूले थे, मिठाइयाँ थीं, और बहुत से लोग थे। वह बहुत खुश था, लेकिन तभी उसकी नजर एक बहुत खूबसूरत खिलौने की दुकान पर पड़ी। राघव ने सोचा, “अगर मैं थोड़ी देर और यहाँ रुकूं, तो मुझे और मजा आएगा।” लेकिन फिर उसे अपने पिता को दिया वचन याद आया। उसके पिता ने जो कहा था, वह राघव के दिल में गूंजने लगा।

वह अपनी इच्छा को दबा कर तुरंत घर की ओर लौट पड़ा। घर पहुँचते ही उसने सभी काम पूरे किए, जैसे वह अपने पिता से वचन ले चुका था। थोड़ी देर बाद राघव के पिता घर लौटे और उन्होंने देखा कि घर बिल्कुल साफ-सुथरा था। राघव का मन गर्व से भर गया, क्योंकि उसने अपने पिता का वचन निभाया था।

जब राघव के पिता ने उससे पूछा, “क्या तुमने मेला देखा?” तो राघव ने बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब दिया, “हाँ पापा, लेकिन मैंने जो वचन दिया था, वह सबसे महत्वपूर्ण था। मैंने पहले घर के काम किए और फिर मेला देखा।”

पिता ने राघव की ओर देखा और गर्व से मुस्कुराए। उन्होंने कहा, “बेटे, तुमने आज मुझे गर्व महसूस कराया है। वचन और ईमानदारी से बढ़कर कुछ नहीं है। तुमने अपने फैसले से यह साबित कर दिया कि तुम एक सच्चे इंसान हो।”

शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि वचन निभाना सबसे महत्वपूर्ण है। चाहे जीवन में कितनी भी लुभावनी परिस्थितियाँ क्यों न हों, हमें अपनी जिम्मेदारियों और वचनों को प्राथमिकता देनी चाहिए। ईमानदारी और वचनबद्धता से हमें न केवल आत्म-सम्मान मिलता है, बल्कि दूसरों का विश्वास भी जीतते हैं।

पहेली का उत्तर : अवसर
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प्रार्थना:
हे जग त्राता विश्व विधाता, 
हे सुख शांति निकेतन।
प्रेम के सिन्धु, दीन के बन्धु, 
दुःख दारिद्र विनाशन। 

हे जग त्राता विश्व विधाता, 
हे सुख शांति निकेतन 
हे नित्य अखंड अनंन्त अनादि, 
पूरण ब्रह्म सनातन।

हे जग त्राता विश्व विधाता, 
हे सुख शांति निकेतन 
हे जग आश्रय जग-पति जग-वन्दन, 
अनुपम अलख निरंजन।

हे जग त्राता विश्व विधाता, 
हे सुख शांति निकेतन
प्राण सखा त्रिभुवन प्रति-पालक, 
जीवन के अवलंबन।

हे जग त्राता विश्व विधाता, 
हे सुख शांति निकेतन
हे जग त्राता विश्व विधाता, 
हे सुख शांति निकेतन 
हे सुख शांति निकेतन
हे सुख शांति निकेतन।

मंत्र:
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः। 
सर्वे सन्तु निरामयाः। 
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। 
मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्॥

अर्थः सब लोग सुखी रहें। 
सब लोग स्वस्थ और सुरक्षित रहें। 
किसी को भी कष्ट न हो।

गर्भ संवाद:
मेरे प्यारे शिशु मेरे बच्चे, मैं तुम्हारी माँ ‍ हूं…… माँ!

— आज मैं तुम्हे तुम्हारे कुछ महानतम गुणों की याद दिला रही रही हूँ जो तुम्हे परमात्मा का अनमोल उपहार है।

— मेरे बच्चे! तुम्हारे मस्तिष्क में अपार क्षमता है। तुम्हारी बुद्धि तीव्र है।

— तुम आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक जैसी क्षमता लेकर आ रहे हो। तुममे कठिन से कठिन समस्या को सुलझाने की योग्यता है।

— तुम रामानुजन जैसी गणित के सवालों को हल करने की क्षमता रखते हो।

— विवेकानंद जैसी महान प्रतिभा है तुममें।

— तुम्हारी याददाश्त बहुत अच्छी है, जो बात तुम याद रखना चाहो तुम्हें सदा याद रहती है।

— तुम्हारी एकाग्रता कमाल की है। जिस काम पर तुम फोकस करते हो उसमें बेहतरीन परिणाम लेकर आते हो।

— कोई भी विषय, कोई भी टॉपिक तुम्हारे लिए कठिन नहीं, हर विषय को अपनी लगन से, परिश्रम से तुम सरल बना लेते हो।

— तुम्हारे भीतर अनंत संभावनाएं छुपी हुई है।

— तुम्हें म्यूजिक का बहुत शौक है, तुम सभी वाद्य यंत्र बजाना जानते हो। ढोलक, गिटार, तबला, हारमोनियम, तुम बहुत अच्छे से बजा सकते हो।

— तुम्हारा दिमाग बहुत तेज चलता है। मुश्किल से मुश्किल समस्या का भी तुम बड़ी आसानी से हल निकाल लेते हो।

— तुम्हारी वाणी में मिठास है। तुम एक बहुत अच्छे गायक हो। जब तुम गाते हो तो सभी मंत्रमुग्ध हो जाते है।

— तुम्हें पढ़ाई में सभी सब्जेक्ट अच्छे लगते है। जो भी पढ़ते हो बड़ी आसानी से याद हो जाता है।

पहेली:
कल बनूं धड़ के बिना, मल बनूं सिर हीन। 
पैर कटे तो थोड़ा रहूँ, अक्षर हैं कुल तीन।। 

कहानी: बहन का स्नेह
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में दो भाई-बहन रहते थे। भाई का नाम अर्जुन था और बहन का नाम सुमिता। दोनों का प्यार एक-दूसरे के प्रति बहुत गहरा था। अर्जुन और सुमिता का परिवार बहुत साधारण था, लेकिन उनके बीच का संबंध बहुत मजबूत था। सुमिता छोटी थी, लेकिन उसकी समझ बहुत विकसित थी। अर्जुन अपने बड़े भाई होने के नाते, सुमिता को हमेशा अपनी देखभाल में रखता और उसकी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ख्याल रखता। वहीं, सुमिता भी अपने भाई से बहुत प्यार करती थी और उसकी खुशियों के लिए हर संभव प्रयास करती थी।

एक दिन अर्जुन को गाँव के बाहर किसी काम से जाना पड़ा। वह कुछ दिन के लिए अपने घर से दूर था। सुमिता अपने भाई को बहुत याद करती, लेकिन वह जानती थी कि उसका भाई कठिन काम में व्यस्त है और उसे उसकी मदद की जरूरत नहीं है। हालांकि, उसने अपने दिल में यह तय किया कि वह इस समय अपने भाई की अनुपस्थिति में घर का ख्याल रखेगी और उसको कोई भी चिंता नहीं होने देगी।

सुमिता ने घर के सभी कामों को संभाल लिया। उसने खाना पकाया, कपड़े धोए, और घर को साफ-सुथरा रखा। अर्जुन जब वापस लौटा, तो उसे घर में कोई भी कमी नहीं दिखी। सब कुछ ठीक था, और उसकी बहन ने उसकी अनुपस्थिति में घर को पूरी तरह से संभाल लिया था।

अर्जुन ने सुमिता से पूछा, “तुमने यह सब अकेले कैसे किया? मैंने तो तुमसे कोई मदद नहीं मांगी थी।”

सुमिता ने हंसते हुए कहा, “भैया, तुम जब बाहर थे, तो मुझे लगा कि तुम्हें वापस लौटने पर किसी भी चीज की कमी नहीं होनी चाहिए। मैं जानती थी कि तुम अपने काम में व्यस्त हो, तो मैंने सब कुछ संभालने का फैसला किया।”

अर्जुन का दिल भर आया, उसने अपनी बहन को गले से लगा लिया और कहा, “तुम्हारी मदद और स्नेह के बिना मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। तुम न केवल मेरी बहन हो, बल्कि मेरी सबसे बड़ी सहारा भी हो।”

एक दिन गाँव में बहुत बड़ी परेशानी आ गई। गाँव के पास एक बड़ी नदी थी, और अचानक बारिश के कारण नदी का पानी बहुत बढ़ गया था। पानी का स्तर इतना बढ़ चुका था कि कई घरों में पानी घुसने लगा। अर्जुन और कुछ अन्य गाँव वाले मदद के लिए नदी की ओर भागे। अर्जुन नदी के पास गया, लेकिन रास्ता बहुत कठिन था और पानी का बहाव बहुत तेज़ था।

अर्जुन को खतरे में देख, सुमिता बहुत चिंतित हो गई। उसने अर्जुन को बचाने का ठान लिया। बिना किसी की मदद के, सुमिता ने खुद को तैयार किया और नदी के किनारे पहुँची। वह अपने छोटे से कदमों से संघर्ष करती हुई अर्जुन तक पहुँची। उसने अर्जुन का हाथ पकड़ लिया और उसे बचाने की कोशिश की। 

सुमिता की मदद से अर्जुन नदी से बाहर निकल पाया। अर्जुन ने अपनी बहन को देखा और उसकी आँखों में आभार की झलक थी। “तुमने मुझे बचाया। तुम मेरे लिए देवदूत हो,” अर्जुन ने कहा। सुमिता मुस्कुराई और बोली, “भैया, तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ सकती। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, चाहे कुछ भी हो।”

शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि भाई-बहन के रिश्ते में सच्चा स्नेह और प्यार होता है। भाई और बहन एक-दूसरे के लिए हर मुश्किल में सहारा बनते हैं। बहन का स्नेह न केवल शारीरिक मदद के रूप में, बल्कि मानसिक और भावनात्मक समर्थन के रूप में भी महत्वपूर्ण होता है। यह रिश्ते विश्वास, स्नेह और समर्पण से भरपूर होते हैं, और ऐसे रिश्तों का कोई मुकाबला नहीं। 

पहेली का उत्तर : कमल
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प्रार्थना:
मैं उमापति, देवगुरू, जो ब्रह्मांड के कारण हैं, को नमन करता हूँ। मैं उनको नमन करता हूँ जिनका आभूषण सर्प है, जो मृगधर हैं एवं जो सभी प्राणियों के स्वामी हैं। सूर्य, चंद्रमा और अग्नि जिनके तीन नेत्र हैं और जो विष्णु प्रिय हैं, मैं उन्हें नमन करता हूँ। मैं भगवान शंकर को नमन करता हूँ जो सभी भक्तों को शरण देने वाले हैं, वरदानों के दाता हैं एवं कल्याणकारी हैं।

मंत्र:
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। 
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥

अर्थ: हे क्रुद्ध एवं शूरवीर महाविष्णु, आपकी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है। हे नरसिंहदेव, तुम्हारा चेहरा सर्वव्यापी है, आप मृत्यु के भी यम हो और मैं आपके समक्ष आत्मसमर्पण करता हूँ।

गर्भ संवाद:
“मेरे बच्चे! तुम्हारा जीवन सूरज की रोशनी की तरह उज्ज्वल और ताकतवर होगा। जैसे सूरज हर सुबह नई शुरुआत करता है, वैसे ही तुम्हारा हर दिन नई उम्मीदें और सकारात्मकता लेकर आएगा। तुम्हारे चारों ओर हमेशा ऊर्जा और उत्साह का माहौल रहेगा। मैं तुम्हारे लिए यही चाहती हूं कि तुम हर दिन की शुरुआत मुस्कान और आत्मविश्वास से करो।”

पहेली:
खाली पेट बड़ी मस्तानी। 
लोग कहें पानी की रानी।।

कहानी: सपनों की उड़ान
यह कहानी एक छोटे से गाँव में रहने वाली एक लड़की नीरा की है। नीरा के पास बहुत बड़े सपने थे, लेकिन उसके पास संसाधन और अवसर नहीं थे। वह एक गरीब परिवार से थी, लेकिन उसके भीतर एक असीमित ऊर्जा और चाहत थी। नीरा की आँखों में हमेशा एक विशेष चमक होती थी, क्योंकि वह जानती थी कि उसे जीवन में कुछ बड़ा करना है, कुछ ऐसा जो उसकी दुनिया को बदल दे।

नीरा का सपना था कि वह एक दिन पायलट बनेगी। वह आकाश में उड़ने का सपना देखती थी, लेकिन उसका सपना बहुत दूर लगता था। गाँव के लोग हमेशा उसे कहते थे, “तुम गरीब हो, तुम्हारे पास पैसे नहीं हैं, तुम इस सपने को कैसे पूरा कर पाओगी?” लेकिन नीरा इन बातों से कभी भी निराश नहीं हुई। उसका मानना था कि अगर किसी के भीतर आत्मविश्वास और मेहनत की शक्ति हो, तो वह किसी भी बाधा को पार कर सकता है।

नीरा के पास पढ़ाई के लिए किताबें और संसाधन नहीं थे, लेकिन उसकी इच्छा और मेहनत इतनी मजबूत थी कि वह छोटे-छोटे काम करके पैसे जुटाती और फिर किताबों और अन्य संसाधनों को इकट्ठा करती। गाँव के स्कूल में पढ़ाई करने के बाद वह इंटरनेट कैफे जाती और वहाँ से पायलट बनने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी जुटाती।

एक दिन नीरा को एक सरकारी स्कॉलरशिप के बारे में पता चला, जो खासतौर पर गरीब बच्चों को पायलट बनने के लिए शिक्षा देने का मौका देती थी। उसने आवेदन किया, लेकिन वह जानती थी कि प्रतियोगिता कठिन होगी। नीरा ने पूरी मेहनत और लगन से अपनी तैयारी शुरू की। उसने अपने सपने को साकार करने के लिए हर दिन कुछ नया सीखा और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाया।

महिने भर की कठिन मेहनत के बाद, एक दिन नीरा को खुशखबरी मिली। उसे स्कॉलरशिप मिल गई थी। वह बहुत खुश हुई, लेकिन उसने किसी से इसका जश्न नहीं मनाया। उसकी आँखों में आंसू थे, क्योंकि उसने खुद को साबित कर दिया था कि सपने बड़े हों या छोटे, उन्हें पूरा करने का इरादा मजबूत होना चाहिए।

नीरा ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक दिन वह वायुसेना में पायलट बन गई। आकाश में उड़ते हुए उसने सोचा, “अगर मैंने अपने सपने को पूरा किया है, तो कोई भी अपने सपने को साकार कर सकता है।” नीरा ने न केवल अपने सपने को सच किया, बल्कि वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन गई।

उसने यह भी महसूस किया कि केवल सपने देखना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम, संघर्ष और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। नीरा ने यह सिखाया कि हम किसी भी स्थिति में हार नहीं मान सकते। सपने किसी भी हद से बड़े होते हैं, और उन्हें पाने के लिए रास्ते खुद बनाए जाते हैं।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हमारी इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता। सपने तभी सच होते हैं जब हम उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत और संघर्ष करते हैं। जीवन में कभी भी कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि वही मुश्किलें हमें हमारे लक्ष्य तक पहुँचने के लिए तैयार करती हैं। आत्मविश्वास और सच्ची मेहनत से हम अपने सपनों को ऊँचाइयों तक ले जा सकते हैं।

पहेली का उत्तर : मछली
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प्रार्थना:
माँ सरस्वती वरदान दो 
माँ सरस्वती वरदान दो, 
मुझको नवल उत्थान दो। 
यह विश्व ही परिवार हो, 
सब के लिए सम प्यार हो। 
आदर्श, लक्ष्य महान हो। 
माँ सरस्वती वरदान दो 
माँ सरस्वती वरदान दो, 

मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो, 
मेरा महान चरित्र हो। 
विद्या विनय वरदान दो। 
माँ सरस्वती वरदान दो 
माँ सरस्वती वरदान दो, 

माँ शारदे हँसासिनी, 
वागीश वीणा वादिनी। 
मुझको अगम स्वर ज्ञान दो। 
माँ सरस्वती, वरदान दो। 
मुझको नवल उत्थान दो। उत्थान दो। उत्थान दो...।

मंत्र:
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। 
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम्॥

अर्थः मैं भगवान शिव को नमन करता हूँ, जो निराकार और व्यापक हैं। आप वेदों के सारस्वरूप हैं।

गर्भ संवाद
“मेरे प्यारे बच्चे, जीवन में सद्गुणों का पालन करना तुम्हारा सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए। सद्गुणों से तुम्हारी पहचान बनती है और तुम्हारे जीवन में सच्ची सफलता आती है। सच्चाई, दया, ईमानदारी, और मेहनत - इन गुणों को अपनी जिंदगी में समाहित करना, तुम्हें हर स्थिति में मजबूत बनाएगा । मैं चाहती हूं कि तुम इन सद्गुणों के साथ हर दिन जियो, क्योंकि यही तुम्हारे जीवन की सबसे बड़ी धरोहर होगी।”

पहली:
आना जाना उसको भाये। 
जिस घर जाये, टुकड़े कर आये।।

कहानी: सकारात्मक सोच की शक्ति
किसी छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम था मोहन। मोहन का जीवन बहुत साधारण था, लेकिन उसकी सोच बहुत विशेष थी। वह हमेशा यह मानता था कि चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, अगर हम सकारात्मक सोचें, तो किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। मोहन का यह विचार उसे उसकी माँ से मिला था, जो हमेशा उसे कहती थीं, “बेटा, अगर तुम अपने मन में सकारात्मकता रखोगे, तो दुनिया की कोई भी मुश्किल तुम्हारे रास्ते में नहीं आ सकती।”

मोहन के पास बहुत साधन नहीं थे, लेकिन वह हमेशा अपनी मेहनत और सकारात्मक सोच से किसी भी कार्य को पूरा करने का प्रयास करता। गाँव के दूसरे बच्चे उसकी सादगी और मेहनत को देखकर उसका मजाक उड़ाते थे। वे कहते थे, “तुम तो गरीब हो, तुमसे कुछ नहीं होगा। तुम जैसे लोग कभी सफलता नहीं पा सकते।” लेकिन मोहन पर इन बातों का कोई असर नहीं होता। वह अपनी माँ के शब्दों को हमेशा याद करता और सोचता, “अगर मैं अपने काम में विश्वास रखता हूँ और पूरी मेहनत करता हूँ, तो किसी भी बाधा को पार कर सकता हूँ।”

एक दिन गाँव में एक बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। यह प्रतियोगिता गाँव के बच्चों के लिए थी, जिसमें उन्हें विभिन्न प्रकार की कला, खेल और विज्ञान से संबंधित चुनौतियों का सामना करना था। मोहन ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लेने का निर्णय लिया। लेकिन उसके पास कोई विशेष संसाधन नहीं थे, न ही उसके पास अच्छी किताबें या उपकरण थे। उसके पास जो कुछ था, वह केवल उसकी सकारात्मक सोच और मेहनत थी। वह प्रतियोगिता की तैयारी में जुट गया। वह दिन-रात मेहनत करता और अपनी हर कमजोरी पर काम करता।

गाँव के अन्य बच्चे उसकी तुलना में ज्यादा संपन्न थे, उनके पास अच्छे कपड़े, उपकरण और किताबें थीं। लेकिन मोहन ने कभी खुद को कम नहीं समझा। वह जानता था कि सफलता केवल संसाधनों पर निर्भर नहीं होती, बल्कि मानसिक स्थिति और दृष्टिकोण पर अधिक निर्भर होती है।

प्रतियोगिता का दिन आ गया। मोहन ने अपने सभी प्रयासों को एकजुट किया और पूरे आत्मविश्वास के साथ प्रतियोगिता में भाग लिया। पहले दौर में ही वह कई बच्चों से पीछे था, लेकिन उसने हार मानने का नाम नहीं लिया। वह लगातार अपनी तैयारी को बेहतर करता गया और हर चुनौती को सकारात्मक सोच के साथ हल करता गया। अंत में, मोहन ने प्रतियोगिता जीत ली। उसने सबको यह साबित कर दिया कि केवल संसाधन नहीं, बल्कि सकारात्मक सोच और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

मोहन की सफलता ने गाँव के बच्चों को एक नई दिशा दी। वे सब अब सकारात्मक सोचने और अपने प्रयासों पर विश्वास करने लगे थे। मोहन ने उन्हें यह सिखाया कि जीवन में किसी भी परिस्थिति को चुनौती के रूप में देखो, और आत्मविश्वास और मेहनत से उसे पार करो। 

मोहन के जीवन से गाँव वालों ने यह सीखा कि अगर हमें किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करनी है, तो सबसे पहले हमें अपनी मानसिकता को सकारात्मक बनाना चाहिए। अगर हम खुद पर विश्वास रखते हैं और अपनी पूरी क्षमता से कार्य करते हैं, तो हम किसी भी मुश्किल को आसानी से पार कर सकते हैं।

शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में सफलता पाने के लिए केवल बाहरी साधन ही नहीं, बल्कि हमारी मानसिकता सबसे महत्वपूर्ण होती है। सकारात्मक सोच से हम न केवल अपनी समस्याओं का हल ढूँढ़ सकते हैं, बल्कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से भी सफलता हासिल कर सकते हैं। सकारात्मक दृष्टिकोण से हमें जीवन की कठिनाइयाँ सरल दिखाई देती हैं, और हम अपनी कठिनाइयों को भी अवसरों में बदल सकते हैं।

पहेली का उत्तर : आरी
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प्रार्थना:
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ

तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे
हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे
हम है अकेले, हम है अधूरे
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ

मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने
विद्या का हमको अधिकार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ

तू श्वेतवर्णी, कमल पर विराजे
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे
मन से हमारे मिटाके अँधेरे
हमको उजालों का संसार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ

मंत्र:
कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि।।

अर्थ: कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले। करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं समस्त सृष्टि के जो सार हैं। जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं। जो भगवान् शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं उनको मेरा नमन है।

गर्भ संवाद
“मेरे बच्चे, जीवन में कभी भी गलतियाँ करना तुम्हारी कमजोरी नहीं है, बल्कि उन्हें समझकर सुधारना तुम्हारी ताकत है। जब तुम गलती करते हो, तो वह तुम्हें एक नया सबक देती है। हर असफलता और गलती से कुछ न कुछ सीखना चाहिए और फिर उसे सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। याद रखना, हर गलती एक नया अवसर है, जिसे तुम अपनी सफलता की ओर बढ़ने के लिए इस्तेमाल कर सकते हो।”

पहली:
एक लड़की कार से जा रही थी। एक लड़के ने उससे लिफ्ट मांगी, आगे जाकर लड़का उतरने लगा तो उसने लड़की का नाम पूछा ? लड़की ने कहा जो मेरी कार का नंबर उसी में मेरा नाम है। कार का नंबर था WV733N तो बताओ लड़की का नाम क्या था ?

कहानी: मकर संक्रांति की पतंग
भारत में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल मौसम के बदलाव का प्रतीक है, बल्कि यह हर व्यक्ति को एक नई ऊर्जा और उम्मीद से भर देता है। खासकर बच्चों के लिए, यह दिन बहुत खास होता है, क्योंकि यह पतंग उड़ाने का दिन होता है। बच्चों के मन में इस दिन के लिए एक विशेष उत्साह होता है, और वे पूरे साल इंतजार करते हैं कि कब मकर संक्रांति आएगी, ताकि वे अपनी पतंगें आसमान में ऊँची उड़ा सकें।

गाँव में एक लड़का था, जिसका नाम था रोहन। वह मकर संक्रांति का दिन बहुत धूमधाम से मनाने के लिए हमेशा तत्पर रहता था। उसके पास एक पुरानी पतंग थी, जिसे वह हर साल सजे-धजे तरीके से आसमान में उड़ाने के लिए तैयार करता था। उसका सपना था कि एक दिन उसकी पतंग आसमान में सबसे ऊँची उड़ान भरे और उसे देख कर सभी लोग उसे सराहें।

रोहन का यह सपना उसे उसकी दादी से मिला था। उसकी दादी उसे हमेशा यह कहानी सुनाया करती थी कि कैसे पतंग उड़ाना जीवन के संघर्षों से मुकाबला करने की तरह होता है। वह कहतीं, “देखो रोहन, पतंग जब तक आकाश में नहीं उड़ती, तब तक उसके पास कोई दिशा नहीं होती। लेकिन जैसे ही वह उड़ान भरती है, वह संघर्ष करती है, हवा के खिलाफ जाती है, लेकिन अंत में वह ऊँचाई प्राप्त करती है।

इसी तरह हमें भी जीवन में कठिनाइयों का सामना करना होता है, लेकिन अगर हम हार नहीं मानते, तो हम भी सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं।”

रोहन को यह बातें बहुत प्रेरित करती थीं। वह सोचता था कि यदि उसकी पतंग आकाश में ऊँचाई तक पहुँच सकती है, तो वह भी अपनी मेहनत और संघर्ष से अपने सपनों को ऊँचा उठा सकता है।

मकर संक्रांति का दिन आ गया। पूरे गाँव में हर किसी के हाथ में रंग-बिरंगी पतंगें थीं। बच्चे अपने दोस्तों के साथ पतंग उड़ाने के लिए तैयारी कर रहे थे। रोहन भी अपनी पतंग लेकर छत पर चढ़ गया। उसकी पतंग हर साल की तरह इस बार भी नयी और सजी हुई थी। लेकिन आज वह सिर्फ पतंग उड़ाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी दादी की बातें याद करके कुछ बड़ा करने के लिए सोच रहा था।

पतंग उड़ा पाना आसान काम नहीं था। शुरुआत में उसकी पतंग फंसी, हवा के झोंकों के साथ संघर्ष किया, लेकिन रोहन ने हार नहीं मानी। उसने धैर्य और समझदारी से पतंग को फिर से ऊँचाई तक पहुँचाया। उसकी पतंग धीरे-धीरे आसमान में ऊँची उठने लगी।

वह बहुत खुश था, लेकिन तभी एक तेज़ हवा का झोंका आया और उसकी पतंग अचानक एक और पतंग से टकरा गई। उसे लगा जैसे उसका सपना टूट गया, जैसे वह किसी कठिनाई से हार गया।

लेकिन उसने हार मानने का नाम नहीं लिया। उसने अपनी पतंग को फिर से संभाला और सही दिशा में उड़ाने की कोशिश की। इस बार पतंग और अधिक ऊँचाई पर पहुँच गई।

कुछ समय बाद, उसकी पतंग आकाश में सबसे ऊँची उड़ रही थी। सभी लोग उसकी पतंग की ओर देख रहे थे। रोहन की आँखों में चमक थी। उसने अपनी दादी की कही बातों को याद किया और महसूस किया कि जीवन में असफलताएँ और संघर्ष आते हैं, लेकिन हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। जितना ज्यादा हम संघर्ष करते हैं, उतनी ही ऊँचाई हासिल करते हैं।

इस दिन, रोहन ने अपनी पतंग के माध्यम से एक गहरा सबक सीखा। उसने समझा कि जैसे पतंग को ऊपर उठाने के लिए हवा के विपरीत संघर्ष करना पड़ता है, वैसे ही जीवन में भी मुश्किलों और बाधाओं का सामना करके ही हम अपने सपनों तक पहुँच सकते हैं।

पहेली का उत्तर : NEELAM ( नीलम ) WV733N को उल्टा लिखकर ( दायें से बायें ) पलट के देखो
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प्रार्थना:
हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे।।
जग सिरमौर बनाएँ भारत,
वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे।।
हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे।।
साहस शील हृदय में भर दे,
जीवन त्याग तपोमय कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे,
स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे ॥ १ ॥ 
हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे।
लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम
मानवता का त्रास हरें हम,
सीता, सावित्री, दुर्गा मां,
फिर घर-घर भर दे। 
फिर घर-घर भर दे ॥२॥
हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे ॥

मंत्र:
ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। 
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधिं कुरु ॥

अर्थः हे मां गंगा और अन्य पवित्र नदियों! आपका जल हमें शुद्धता और पवित्रता प्रदान करे।

गर्भ संवाद:
मेरे प्यारे बच्चे! विनम्रता का मतलब यह नहीं कि तुम कमजोर हो, बल्कि यह तुम्हारी सच्ची शक्ति है। एक विनम्र इंसान हमेशा दूसरों का सम्मान करता है, और इसी से उसे भी सम्मान मिलता है। विनम्रता से तुम्हारी बातें और कर्म सबके दिलों में जगह बनाते हैं। मैं चाहती हूं कि तुम हमेशा विनम्र रहो, क्योंकि विनम्रता से तुम्हारा व्यक्तित्व और भी मजबूत बनता है।”

पहली:
सारे तन में छेद कई हैं, इन छेदों का भेद यही है। 
ये ना हो तो मैं बेकार, इनसे ही मेरा संसार, तभी मैं लाऊ सुरों की बहार।

कहानी: ममता का चमत्कार
यह कहानी एक छोटे से गाँव के एक छोटे से लड़के आदित्य, की है। आदित्य एक बेहद प्यारा और समझदार बच्चा था, लेकिन उसकी एक सबसे बड़ी परेशानी थी कि वह बहुत ही बीमार रहता था। उसकी माँ, विमला देवी उसका पूरा ध्यान रखतीं और दिन-रात उसकी देखभाल करतीं। आदित्य की हालत इतनी कमजोर थी कि कभी-कभी वह पूरी तरह से बिस्तर पर ही पड़ा रहता था लेकिन उसकी माँ का प्यार और ममता उसके लिए संजीवनी बूटी की तरह थी।

विमला देवी का प्यार इतना गहरा था कि वह किसी भी मुश्किल का सामना करतीं, बस अपने बेटे की सेहत और खुशी के लिए। आदित्य के लिए वह रोज़ नई दुआएं करतीं, उसे ढेर सारी कहानियाँ सुनातीं, उसकी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखतीं लेकिन आदित्य के शरीर में हमेशा कोई न कोई समस्या बनी रहती थी। डॉक्टर कहते, ”उसकी कमजोरी के कारण, उसे लगातार आराम और सही पोषण की जरूरत है।”

एक दिन, आदित्य की तबियत और भी बिगड़ गई। उसे तेज बुखार, सिरदर्द और थकान महसूस हो रही थी। विमला देवी परेशान हो गईं, लेकिन उन्होंने हार मानने का नाम नहीं लिया। उन्होंने अपने बेटे को प्यार से सहलाया और कहा, “तुम जल्दी ठीक हो जाओगे बेटा, क्योंकि ममता का चमत्कार होता है। माँ के दिल में जो प्यार है, वह किसी भी बीमारी को हराने की ताकत रखता है।”

विमला देवी ने आदित्य के सिर पर हाथ फेरते हुए उसका मनोबल बढ़ाया और उसे विश्वास दिलाया कि वह जल्द ही ठीक हो जाएगा। उन्होंने अपनी सारी शक्ति अपने बेटे के अंदर डाली, क्योंकि माँ का प्यार ही सबसे बड़ा चमत्कार होता है। उन्होंने उसकी पूरी देखभाल की उसे गर्म सूप और ताजे फल दिए, और उसे आराम करने के लिए कहा लेकिन सबसे बड़ी बात यह थी कि विमला देवी ने अपने दिल की गहराइयों से दुआ करना शुरू किया। उन्होंने भगवान से यह प्रार्थना की, “हे भगवान, मेरे बेटे को स्वस्थ और खुश रखो। उसके जीवन में कोई परेशानी न आये, और वह हमेशा खुश रहे।”

रात के समय विमला देवी की आंखों में एक चमक थी, जो उनकी उम्मीद और विश्वास का प्रतीक थी। वह अपने बेटे के पास बैठी थीं, और उसकी तकलीफों को महसूस कर रही थीं। जैसे ही वह सोईं, उनकी नींद में एक अद्भुत सपना आया। वह सपना था एक तेज़ रौशनी का, जो उन्हें विश्वास दिलाता था कि उनका बेटा जल्द ही स्वस्थ हो जाएगा। जब विमला देवी ने सुबह उठकर आदित्य को देखा, तो उन्होंने देखा कि उसका बुखार कम हो चुका था और वह थोड़ा हल्का महसूस कर रहा था।

वह बहुत खुश हुईं और आदित्य से कहा, “बेटा, देखो! तुम्हारी माँ की ममता ने तुम्हारे शरीर को चमत्कारिक रूप से ठीक कर दिया।” आदित्य ने मुस्कराते हुए अपनी माँ को देखा और कहा, “माँ, तुम्हारे प्यार ने मुझे फिर से जीवन दे दिया। मुझे अब बहुत अच्छा महसूस हो रहा है।”

विमला देवी को यह अहसास हुआ कि ममता वास्तव में एक अद्भुत चमत्कार है, जो किसी भी कठिनाई को पार करने की ताकत रखती है। उनका विश्वास और सच्चा प्यार किसी भी बीमारी को हराने के लिए काफी था। यह एक ऐसा चमत्कार था, जो केवल माँ के दिल में होता है – एक ऐसा चमत्कार, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि एक बच्चे की आत्मा और मन को भी सशक्त करता है।

आदित्य जल्द ही पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। उसकी माँ का प्यार और ममता उसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई थी। इसने उसे न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मजबूत किया। विमला देवी ने महसूस किया कि माँ का प्यार वास्तव में एक अद्वितीय शक्ति है, जो किसी भी बुराई या समस्या को हराने की क्षमता रखती है।

शिक्षा
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि माँ का प्यार और ममता वह शक्ति है, जो किसी भी कठिन परिस्थिति को पार करने की ताकत देती है। माँ का प्यार न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संबल के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। माँ के दिल में जो असीमित प्यार होता है, वही हमारे जीवन में सबसे बड़ा चमत्कार बनकर हमें हर परेशानी से बाहर निकालता है। ममता की यह शक्ति न केवल हमारे शरीर को, बल्कि हमारी आत्मा को भी ताजगी और शक्ति प्रदान करती है।

पहेली का उत्तर : बांसुरी
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