टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 46
पिछले एपिसोड में:
भावेश गिरफ्तार हो चुका है!
करण को अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन उसकी हालत नाजुक है।
सिया ने अपने प्यार को खोने से बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना की।
आदित्य के दिल में अब भी डर है – क्या सब कुछ सच में खत्म हो गया है?
अब आगे…
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ऑपरेशन थियेटर के बाहर – उम्मीद और डर
अस्पताल के गलियारे में गहरी शांति थी। सिर्फ मॉनिटर्स की बीप और स्ट्रेचर के पहियों की हल्की आवाज़ माहौल को और भारी बना रही थी। ऑपरेशन थियेटर की लाल बत्ती अब भी जल रही थी। बाहर बैठी सिया की आँखों में आँसू भरे थे।
"डॉक्टर, करण बच तो जाएगा न?" उसने काँपती आवाज़ में पूछा।
डॉक्टर ने गंभीर लहज़े में कहा, "हम पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन करण की हालत बहुत नाज़ुक है। उसे गोली दिल के पास लगी थी, और खून बहुत बह चुका है।"
आदित्य भी सिया के पास आकर बैठा। उसने उसके काँपते हाथों को थामा और कहा, "हमें हिम्मत रखनी होगी, सिया। करण एक फाइटर है, वो ज़रूर लौटेगा।"
"लेकिन अगर वो नहीं लौटा तो?" सिया की आँखों में डर था।
"अगर ऐसा हुआ, तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊँगा।" आदित्य ने गहरी साँस ली।
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भावेश का आखिरी खेल?
भावेश को जेल ले जाया जा रहा था।
पुलिस वैन तेज़ रफ्तार से हाईवे पर दौड़ रही थी, जब अचानक…
"धाँय! धाँय!"
चार नकाबपोश लोगों ने गाड़ी को घेर लिया और ताबड़तोड़ गोलियाँ चलने लगीं।
"कवर लो!" इंस्पेक्टर चिल्लाया।
लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक विस्फोट हुआ और पुलिस वैन पलट गई।
धुएं के बीच से एक परछाई निकली – भावेश।
वह हँसते हुए वैन से बाहर आया और अपने फोन से किसी को कॉल किया, "मुझे आदित्य चाहिए! वो जिंदा नहीं बचना चाहिए!"
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करण की धड़कनें रुक गईं!
ऑपरेशन थियेटर में डॉक्टर पूरी कोशिश कर रहे थे। करण के दिल की धड़कनें धीमी होती जा रही थीं।
अचानक…
करण की हार्टबीट मॉनिटर पर सीधी लाइन आ गई!
"डॉक्टर, उसकी धड़कनें बंद हो गई हैं!" एक नर्स घबराई।
"डिफाइब्रिलेटर लाओ, जल्दी!" डॉक्टर चिल्लाया।
बाहर खड़ी सिया और आदित्य की आँखों में खौफ उतर आया।
"नहीं! ऐसा नहीं हो सकता!" सिया बुदबुदाई।
डॉक्टरों ने करण को पहला झटका दिया।
कोई प्रतिक्रिया नहीं।
दूसरा झटका…
अब भी कोई हलचल नहीं।
सिया अब बिलखने लगी थी, "करण, प्लीज़ उठो!"
डॉक्टरों ने आखिरी बार डिफाइब्रिलेटर का इस्तेमाल किया।
"बीप—बीप—बीप!"
करण की धड़कनें वापस आ गईं!
डॉक्टर ने राहत की साँस ली, "वो ज़िंदा है!"
सिया ने आदित्य को गले लगा लिया, "करण बच गया!"
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भावेश का आखिरी वार – आदित्य खतरे में!
आदित्य को अभी तक नहीं पता था कि मौत का साया उसके करीब था।
भावेश के गुंडे अस्पताल में घुस चुके थे।
उन्होंने अपनी बंदूकें लोड कीं और चुपचाप आईसीयू की तरफ बढ़े।
लेकिन तभी…
"रुको!"
एक पुलिस अफसर ने उन पर गोली चला दी।
गुंडों और पुलिस के बीच गोलीबारी शुरू हो गई।
आदित्य को खतरे का एहसास हुआ और उसने तुरंत सिया और करण को सुरक्षित जगह पर पहुँचाया।
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क्या भावेश अपने इरादों में कामयाब होगा?
क्या आदित्य का बचना मुमकिन है?
क्या करण अब पूरी तरह ठीक हो जाएगा?
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अगले एपिसोड में – फिनाले का धमाका!