TOOTE HUE DILON KA ASHPATAAL - 33 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 33

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टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 33

टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 33 


पिछले एपिसोड में:

भावेश ने जेल से कॉल करके आदित्य को धमकी दी थी। उसने नव्या को अगवा करवा लिया, और अब आदित्य और अर्जुन के लिए खतरे की घंटी बज चुकी थी।



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नव्या का संघर्ष


नव्या को जबरदस्ती एक अंधेरे कमरे में लाकर फेंका गया। उसके हाथ बंधे हुए थे, और चारों ओर घना अंधेरा था।


"कौन हो तुम लोग? मुझे यहाँ क्यों लाए हो?" उसने डरते हुए पूछा।


"चुप रहो!" एक आदमी ने उसकी तरफ बंदूक तान दी।


नव्या के चेहरे पर पसीने की बूंदें छलक आईं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब उसका क्या होगा।


तभी एक जाना-पहचाना स्वर गूंजा—


"कैसी हो, डॉ. नव्या?"


नव्या का दिल ज़ोर से धड़कने लगा।


"भावेश!"


भावेश उसके सामने कुर्सी पर बैठ गया और मुस्कुराने लगा।


"आदित्य बहुत बड़ा खेल खेल रहा था ना? अब देखता हूँ, वो कैसे तुझे बचाने आता है!"


नव्या ने गुस्से में कहा, "तुम इस अस्पताल से बदला लेने के लिए इतने नीचे गिर जाओगे?"


भावेश हँस पड़ा।


"ये सिर्फ़ शुरुआत है, डॉक्टर!"



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आदित्य की बेचैनी


अस्पताल में आदित्य और अर्जुन ने पुलिस को सूचना दे दी थी, लेकिन उन्हें अभी तक कोई सुराग नहीं मिला था।


"कहीं न कहीं कोई तो क्लू होगा," अर्जुन बुदबुदाया।


आदित्य गुस्से से अपनी टेबल पर मुक्का मारता है।


"मैं नव्या को कुछ होने नहीं दूँगा!"


तभी उसके फोन पर एक वीडियो कॉल आई।


स्क्रीन पर नव्या दिखाई दी—उसकी आँखों में डर था, और उसके पीछे भावेश खड़ा था।


"अगर अपनी दोस्त को ज़िंदा देखना चाहता है, तो अकेले आ," भावेश ने कहा।


कॉल कट गई।


अर्जुन ने फौरन कहा, "ये एक जाल है, आदित्य!"


"मुझे जाना होगा!" आदित्य ने जवाब दिया।


"लेकिन अकेले जाना पागलपन है!"


आदित्य ने उसकी तरफ देखा, "अगर मैं नहीं गया, तो नव्या को मार देंगे!"



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मौत का जाल


रात के 11 बजे।


आदित्य अकेले एक सुनसान गोदाम के पास पहुँचा।


वहाँ अंदर जाते ही उसे नव्या एक कुर्सी से बंधी दिखी।


"आदित्य!" नव्या चिल्लाई।


तभी…


"ट्रिगर दबाओ!"


भावेश के इशारे पर एक गुंडे ने आदित्य पर गोली चला दी!


"धाँय!"


आदित्य झुक गया और गोली पास से निकल गई।


भावेश हँसा, "लगता है किस्मत अच्छी है तेरी!"


लेकिन तभी...


"धाँय! धाँय!"


गोदाम के बाहर से फायरिंग शुरू हो गई!


"पुलिस!" किसी ने चिल्लाया।


अर्जुन ने पुलिस को पहले ही खबर दे दी थी।


भावेश के लोग इधर-उधर भागने लगे।


आदित्य ने मौका देखकर एक गुंडे को मुक्का मारा और नव्या को बंधन से आज़ाद कर दिया।


"चलो यहाँ से!"


लेकिन भागने से पहले, आदित्य ने भावेश की ओर देखा और कहा, "अब तू जेल से कभी बाहर नहीं आएगा!"



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अंतिम टकराव


भावेश ने भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उसे घेर लिया।


"खेल खत्म, भावेश!" इंस्पेक्टर ने कहा।


भावेश गुस्से में चिल्लाया, "आदित्य, मैं तुझे छोड़ूँगा नहीं!"


पुलिस उसे हथकड़ी लगाकर ले गई।



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नई शुरुआत?


अस्पताल में सब कुछ फिर से सामान्य होने लगा था।


आदित्य, अर्जुन और नव्या एक साथ बैठे थे।


"आखिरकार, ये बुरा सपना खत्म हुआ," अर्जुन ने राहत की साँस ली।


नव्या मुस्कुराई, "हाँ, लेकिन एक बात साफ हो गई... कि हम साथ हैं, तो कोई भी हमें हरा नहीं सकता!"


आदित्य ने सिर हिलाया, "टूटे हुए दिलों का अस्पताल सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक

परिवार है। और हम इसे कभी टूटने नहीं देंगे।"



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क्या ये वाकई अंत था?

या कोई नया मोड़ आने वाला था?


जाने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड!