21
रुस्तम
अब अश्विन और अनुज ने एक बार फिर एक दूसरे को कुटिल मुस्कान दी और उन दोनों ने यश और करण को ऑल द बेस्ट कहा तो ज़वाब में उन्होंने भी सिर हिला दिया और अब वे लोग ट्रैन के चलने की आवाज़ सुनकर ट्रेन के अंदर जाने लगेंl सब एक ही गेट से चढ़ते हुए साधारण यात्री की तरह अपने-अपने डिब्बे की तरफ बढ़ गएl सबसे पहले अनुज अपने पहले डिब्बे में घुसा तो उसे अंदर आते देखकर राकेश बोला,
“भाईसाहब, आप नहीं आ सकते, रिजर्वेशन है, हमारीl” अब अनुज ने राकेश को ऊपर से नीचे तक घूरकर देखा, कद पाँच फुट दो इंच, रंग काला, आँखो पर मोटा चश्मा और पेट बाहर निकला हुआ l “सर, कुछ अर्जेंट था तो यही पालफॉर्म से ही टिकट ली हैl” यह सुनकर राकेश ने मुँह बिचका लिया और वह उसके दस साल के बच्चे के साथ वाली सीट पर बैठ गयाl अब उसकी नज़र उसकी बीवी पर गई जो उसे ही देखी जा रही है, अपने पति जितना कद बालों को जूड़े में ठूसा हुआl रंग साँवला पर हाँ उसकी तरह मोटी नहीं हैl शालिनी ने उसे देखकर स्माइल पास की तो वह हल्का सा मुस्कुरा दिया तो वह ऐसे खुश हो गई जैसे किसी ने बिना माँगे उसे मोती दे दिए होl बच्चा तो फ़ोन पर गेम खेल रहा है और बुजुर्ग हाथ में कोई धार्मिक पुस्तक लिए बैठे हैंl रिजर्वेशन होने के कारण, ट्रैन में वेटर स्नैक्स लेकर आ गया हैl वेटर ने वहाँ बने टेबल पर कॉफी और पकोड़े रखें तो शालिनी बोल पड़ी, “ मैं तो घर से भी गोभी के पकोड़े बनाकर लाई हूँl” अब वह पकोड़े निकालकर सबको देने लगी तो उसने टिफ़िन अनुज की तरफ भी बढ़ा दिया, शालिनी का चेहरा बता रहा है कि उसने अनुज जैसा हैंडसम लड़का शायद ज़िन्दगी में पहली बार देखा हैl अनुज ने पकौड़े लेने से मना किया तो वह बार-बार उसे लेने के लिए कहने लगी तो उसने मजबूरन एक पकोड़ा उठा लायाl
ट्रैन अपनी गति से चलती जा रही है, करण भी अपने डिब्बे में कोई ज़रूरी काम का बताकर सेटल हो गया हैl उसे भी बातों -बातों में पता चला गया है कि एक कपल का नाम सिमरन और राहुल और वे दोनों खुद को यशचोपड़ा की फिल्म के हीरो-हीरोइन समझ रहें हैंl वही दूसरे कपल जिनका नाम सोहन और सुप्रिया है, वह अपनी मज़बूरी में की गई शादी के भाव अपने चेहरे पर लिए बैठे हैंl
अश्विन अपनी सीट पर बैठा सभी को बड़ी गौर से देख रहा हैl सबसे पहले उसने रेवा को देखा, लम्बे बाल, खुबसूरत चेहरा, जीन्स और टॉप के साथ जैकेट पहनी हुई हैl वह एक अंग्रेजी नावेल पढ़ रही हैl फिर उसकी नज़र रेहान पर गई, बालों में एक छोटी सी चोटी और एक हैंडसम चेहरा, लम्बा कद और जीन्स और शर्ट के साथ जैकेट पहने वह अपने टैब की तरफ देख रहा है और बीच-बीच में उसकी नज़र रेवा पर भी चली जाती है तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैl बाकि सबका पहनावा भी रेहान से मिलता जुलता है, बस राजीव को छोड़कर, बिज़नेस सूट पहने वह शक्ल से काफी सीरियस लग रहा है, जैसे उसके मन में कुछ चल रहा होl नंदिश अपने फ़ोन पर किसी से लगातार चैटिंग करता दिख रहा हैl देवेन वेटर के लाए पकोड़े और स्प्रिंग रोल खाने में बिजी है और समर फ़ोन पर ही कोई ईमेल टाइप करता नज़र आ रहा हैl
अब राकेश ने अनुज से पूछा, “ वैसे आपने बताया नहीं, क्या अर्जेंट काम था, जिसकी वजह से आप हमारे डिब्बे में घुस आयेl”
“जी मेरी फैमिली में कोई बीमार है, मुझे उसे देखने जाना हैl” उसने आराम से जवाब देते हुए राकेश की तरफ देखा तो वह हमदर्दी जताते हुए बोला, “मुझे बताए, मैं क्लर्क होने के साथ-साथ एक वैद भी हूँ, आप मेरा कार्ड रखिये, मुझे सभी उपचार करने आते हैंl मलेरिया, दिमागी बुखार, कोई फोड़ेफुंसी, बालतोड़, बवासीर कोई गुप्त रोग या यौन-सबंध में परेशानीl” यह कहते हुए उसने अनुज को हल्की सी आँख मारी तो उसने उसका कार्ड पकड़ते हए मुँह बना लियाl “वैसे दिल्ली में कबसे से है, आप? “ अनुज ने बात का टॉपिक बदलते हुए पूछा l “पैदा ही यही हुए हैं, मेरी वाइफ नवोदय स्कूल में म्यूजिक की टीचर है, बहुत अच्छा गाती है, “ शालिनी यह सुनकर शरमा गई और फिर अपने बालों को जुड़े से आज़ाद करते हुए बोली, “आप सुनेंगे?” “जी नहीं, मेरा इंटरेस्ट नहीं हैl” उसकी नज़र राकेश के दिए कार्ड पर हैl “अरे !! भाईसाहब सुन लें, अभी ढाई घंटे पड़े हैl” “ओह गॉड, दोनों पागल है,” उसने मन ही मन कहाl अब शालिनी ने अपनी जुल्फों को चेहरे पर से हटाते हुए गाना शुरू कर दिया,
“कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये
तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है”
अनुज ने देखा कि उसका पति तो उसका गाना ऐसे एन्जॉय कर रहा था कि जैसे उसके गले से लता जी के सुर निकल रहे हो पर उसके ससुर ने तो गाना शुरू होते ही आँखे बंद कर ली और बच्चा अभी भी मोबाइल में व्यस्त हैl अब शालिनी ने गाना गाते हुए अनुज को ऐसे देखा जैसे वह इस गाने में उसके और ख़ुद के होने की कल्पना कर रही हो, यही सोचते हुए वह गीत की आगे की पंक्तियाँ गाने लगी,
“कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे बजती हैं शहनाइयां सी राहों में
सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं
सिमट रही है तू शरमा के अपनी बाहों में
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है”
“बहू आज के लिए इतना काफी है, उसके ससुर ने कहा तो वह चुप हो गई और तारीफ सुनने के लिए अनुज की तरफ देखने लगी, “वैरी नाइस!!!” वैसे अंकल जी क्या करते है? “बेटा मैं पीडबलयूडी से रिटायर हूँl राकेश के पापा रामलाल ने राकेश के बोलने से पहले ही जवाब दियाl अब अनुज ने कुछ सोचते हुए पूछा, “अंकल आप किसी रतन मेहरा को जानते है? “ उन्होंने भी दिमाग पर ज़ोर देते हुए कहा, “ हाँ मेरा जूनियर था, अच्छा आदमी है, उसके बेटे अमन के बारे में सुनकर बहुत बुरा लगा, अच्छा खासा जवान लड़का, इतनी कम उम्र में भगवन को प्यारा हो गया, पता नहीं कौन है वो सीरियल किलर जो निर्दोष लोगों को मार रहा हैl” “अंकल जी, यह रतन मेहरा के कोई दुश्मन का काम भी तो हो सकता है?” अनुज ने रतन के बारे में और जानने की कोशिश की हालांकि वह पहले ही अमन की फैमिली का बैक ग्राउंड चैक करवा चुका हैl “नहीं बेटा, मुझे तो नहीं लगता, शरीफ आदमी है, एक तनख्वाह खाता है और क्या !!!!”” अनुज को उनसे ऐसे ही जवाब की उम्मीद थी, “वैसे तुम कैसे जानते हो?” रामलाल ने अब अपने हाथ में पकड़ी धार्मिक किताब को अपने थैले में रख रखते हुए अनुज से पूछाl “मैं उनसे एक फैमिली फंक्शन में मिला थाl” अनुज ने सफ़ाई दी l “वैसे भाईसाहब, मैं उस किलर को पकड़ने में पुलिस की मदद कर सकता हूँ पर मैं करूँगा नहींl” अब अनुज राकेश के अचानक से गंभीर हुए चेहरे की तरफ देखकर सोचने लगा, “यह भी कोई छुपा रुस्तम लगता है जो बेवकूफ बनने का नाटक कर रहा हैl “