सुजाता को सती होने से बचाने के लिए अर्चना ने प्रशासन से संपर्क किया था, लेकिन गांव के रूढ़िवादी लोग इसे रोकने के लिए पूरी ताकत लगा रहे थे। गांव में यह अफवाह फैला दी गई कि अर्चना विदेशी विचारधारा से प्रभावित हो गई है और धर्म को नष्ट करने की साजिश रच रही है।
रात का अंधेरा और सुजाता की बेबसी
सुजाता को उसके ससुराल वालों ने एक अलग कमरे में बंद कर दिया था। उसकी सास और देवर बार-बार उसे धमका रहे थे,
"अगर तुमने सती होने से इनकार किया, तो समाज में हमारा नाम डूब जाएगा! तुम्हें यह करना ही होगा।"
सुजाता की आँखों में डर और बेबसी थी, लेकिन कहीं न कहीं अर्चना की बातें भी उसे याद आ रही थीं।
देर रात, अर्चना अपने कुछ समर्थकों के साथ सुजाता के घर पहुँची। वे चुपचाप खिड़की के पास खड़े हो गए। अर्चना ने धीरे से आवाज दी, "सुजाता दीदी, हम तुम्हें यहाँ से निकालने आए हैं।"
सुजाता की आँखों में आशा की एक किरण जगी। उसने खिड़की से झाँका और धीरे से बोली, "लेकिन अगर ये लोग जाग गए, तो मुझे मार डालेंगे।"
अर्चना ने दृढ़ता से कहा, "हम तुम्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे। बस हिम्मत रखो।"
गांव में बढ़ता तनाव
सुबह होते ही गांव के चौपाल पर पंचायत बुलाई गई। अब तक यह खबर फैल चुकी थी कि अर्चना ने प्रशासन से मदद मांगी है। पंडितों और मुखिया को डर था कि अगर सरकार ने हस्तक्षेप किया, तो यह प्रथा पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
मुखिया ने पंचायत में घोषणा की, "जो भी अर्चना का समर्थन करेगा, उसे समाज से बाहर कर दिया जाएगा।"
कुछ बुजुर्गों ने भी समर्थन किया, "सती प्रथा हमारी संस्कृति का हिस्सा है। अर्चना जैसे लोग इसे नष्ट करना चाहते हैं।"
लेकिन तभी देवेंद्र और कुछ अन्य युवक खड़े हुए, "अगर सती प्रथा सही होती, तो इसे कानून में प्रतिबंधित क्यों किया गया? यह धर्म नहीं, हत्या है!"
प्रशासन की एंट्री
अर्चना ने जिस प्रशासनिक अधिकारी को सूचना दी थी, वह अंततः अपने दल-बल के साथ गांव पहुँचा। उनके साथ पुलिस भी थी। जैसे ही अफसरों ने गाँव में प्रवेश किया, वहां हड़कंप मच गया।
गांव के मुखिया और पंडित पुलिस को देखकर क्रोधित हो गए।
"यह हमारा गांव है! सरकार को हमारे धार्मिक मामलों में दखल देने का कोई हक नहीं!" मुखिया चिल्लाया।
लेकिन अफसर ने सख्ती से कहा, "सती प्रथा गैरकानूनी है। अगर किसी को जबरन जलाने की कोशिश की गई, तो दोषियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।"
सुजाता को बचाने के लिए पुलिस ने उसके घर पर छापा मारा। जब वे अंदर पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि सुजाता को रस्सियों से बाँधकर रखा गया था, ताकि वह भाग न सके।
पुलिस ने तुरंत उसे मुक्त किया और उसके ससुराल वालों को गिरफ्तार कर लिया।
गांव में बदलाव की पहली किरण
सुजाता अब सुरक्षित थी, लेकिन गांव के लोग दो हिस्सों में बँट चुके थे। एक तरफ वे लोग थे जो अब भी इस प्रथा के समर्थन में थे, और दूसरी तरफ वे लोग थे जो अर्चना के साथ खड़े थे।
पुलिस अधिकारी ने गांव के लोगों को चेतावनी दी, "अगर किसी और महिला को सती बनाने की कोशिश की गई, तो पूरे गांव पर कड़ी कार्रवाई होगी।"
इस चेतावनी के बाद धीरे-धीरे गांव में बदलाव आना शुरू हुआ। कुछ लोग, जो पहले डर के कारण चुप थे, अब खुलकर अर्चना के समर्थन में आने लगे।
अर्चना का अगला कदम
सुजाता के बच जाने के बाद, अर्चना ने तय किया कि वह सिर्फ एक गांव तक सीमित नहीं रहेगी। वह और अधिक महिलाओं को जागरूक करेगी और इस प्रथा को पूरी तरह खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर काम करेगी।
उसने देवेंद्र और अन्य साथियों के साथ मिलकर एक महिला संगठन बनाने का निर्णय लिया, जो हर गांव में जाकर महिलाओं को इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित करेगा।
लेकिन क्या समाज इतनी जल्दी बदल पाएगा? क्या अर्चना और उसके साथियों को और भी विरोध झेलना पड़ेगा?
अगले भाग में:
अर्चना का संघर्ष अन्य गांवों तक पहुँचेगा
समाज के ठेकेदार और कट्टरपंथी उसे रोकने की कोशिश करेंगे
प्रशासन का समर्थन कितना प्रभावी होगा?