Ek Kadam Badlaav ki Aur - 6 in Hindi Mythological Stories by Lokesh Dangi books and stories PDF | एक कदम बदलाव की ओर - भाग 6

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एक कदम बदलाव की ओर - भाग 6



सुजाता को बचाने के बाद अर्चना को लगा कि उसने सती प्रथा के खिलाफ एक मजबूत कदम उठा लिया है, लेकिन यह केवल शुरुआत थी। गाँव में अब दो धड़े साफ दिखाई देने लगे थे—एक वे जो परंपराओं को तोड़ने के पक्ष में थे और दूसरे वे जो इसे किसी भी हालत में बचाना चाहते थे।

पुराने विचारधारा के समर्थकों की चाल

गाँव के पंडित और मुखिया अब और भी अधिक आक्रामक हो गए थे। वे जानते थे कि अगर प्रशासन और जागरूक लोग इसी तरह आगे बढ़ते रहे, तो सती प्रथा पूरी तरह खत्म हो जाएगी।

एक रात, मुखिया और कुछ अन्य प्रभावशाली लोग गुप्त बैठक कर रहे थे।

"अर्चना को रोकना होगा! वह हमारी संस्कृति को नष्ट कर रही है," एक वृद्ध पुजारी बोला।

मुखिया ने गंभीर स्वर में कहा, "अगर उसे खुला छोड़ दिया गया, तो बाकी गाँव की औरतें भी बगावत कर देंगी। हमें इसे यहीं रोकना होगा।"

तय हुआ कि अर्चना को बदनाम करने के लिए अफवाहें फैलाई जाएँगी। गाँव में यह बात फैला दी गई कि अर्चना विदेशी लोगों के इशारे पर काम कर रही है और उसे इस आंदोलन के लिए पैसे मिल रहे हैं।

अर्चना के खिलाफ षड्यंत्र

अगले दिन जब अर्चना गाँव के चौपाल पर पहुँची, तो लोग पहले से ही वहाँ इकट्ठा थे। जैसे ही उसने बोलना शुरू किया, एक आदमी चिल्लाया,

"तू हमारी संस्कृति को बेच रही है! तुझे बाहर निकाल देना चाहिए!"

कुछ अन्य लोगों ने भी उसका समर्थन किया और अर्चना पर कीचड़ फेंक दिया। लेकिन इसी बीच देवेंद्र और अन्य समर्थकों ने बीच में आकर कहा,

"क्या तुम लोग नहीं देखते कि सती प्रथा कितनी अमानवीय है? क्या तुम अपनी माँ-बहनों को भी जलता देख सकते हो?"

गाँव के कुछ लोग सोच में पड़ गए, लेकिन कई अभी भी रूढ़िवादी मानसिकता से बंधे थे।

नई योजना: बदलाव की अलख जगाना

अर्चना समझ चुकी थी कि केवल अपने गाँव में काम करने से कुछ नहीं होगा। उसे पूरे क्षेत्र में जागरूकता फैलानी होगी। उसने देवेंद्र और अन्य साथियों के साथ मिलकर योजना बनाई कि वे पास के गाँवों में जाकर महिलाओं को शिक्षित करेंगे और उन्हें बताएंगे कि सती प्रथा क्यों गलत है।

वे गाँव-गाँव जाकर सभाएँ करने लगे। हर जगह उनकी बातें सुनने के लिए कुछ महिलाएँ और युवा पुरुष आने लगे। कुछ जगहों पर उन्हें भारी विरोध झेलना पड़ा, लेकिन कहीं-कहीं उन्हें समर्थन भी मिला।

विरोधियों की हिंसा

अर्चना की सफलता से क्रोधित होकर सती प्रथा के समर्थकों ने हिंसक तरीका अपनाने का निर्णय लिया। एक रात, जब अर्चना और उसकी साथी महिलाएँ एक बैठक से लौट रही थीं, तो अचानक कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया।

"इन लोगों को रोक दो! ये हमारे रीति-रिवाजों को नष्ट कर रहे हैं!"

अर्चना और उसकी साथियों ने भागकर अपनी जान बचाई। देवेंद्र और अन्य पुरुष साथी उनकी रक्षा के लिए दौड़े, लेकिन तब तक हमलावर भाग चुके थे।

इस घटना ने साबित कर दिया कि यह लड़ाई आसान नहीं थी। अर्चना को अब समझ में आ गया कि उसे सिर्फ विचारों की लड़ाई नहीं लड़नी, बल्कि अपने साथियों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा।

अर्चना का जवाब

अगली सुबह अर्चना ने गाँव में एक बड़ी सभा बुलाई और वहाँ उपस्थित लोगों से कहा,

"कल रात जो हुआ, उसने यह साबित कर दिया कि कुछ लोग सच से डरते हैं। लेकिन याद रखना, अगर हम हार मान लेंगे, तो हमारी अगली पीढ़ी भी इस अन्याय को झेलेगी।"

धीरे-धीरे गाँव की कई महिलाएँ उसके साथ जुड़ने लगीं। कुछ पुरुष भी अब यह समझने लगे थे कि सती प्रथा केवल एक अत्याचार है।

अगला कदम

अब अर्चना ने निर्णय लिया कि वह जिला मुख्यालय जाकर अधिकारियों से मिलेगी और वहाँ एक बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी। लेकिन क्या प्रशासन इस बार भी उसका साथ देगा?

अगले भाग में:

अर्चना का जिला मुख्यालय जाना

प्रशासन की प्रतिक्रिया

सती समर्थकों की नई साजिश