एक रहस्यमयी भयावह कथा) बिहार के एक छोटे से गाँव कुरहारी के पास, पहाड़ियों के बीच एक पुरानी गुफा थी — जिसे लोग “अंधेरी गुफा” कहते थे। कोई नहीं जानता था कि वो कितनी गहरी है, पर इतना सबको मालूम था कि वहाँ से कभी कोई वापस नहीं आया… जो गया, वो गुम हो गया — जैसे ज़मीन ने निगल लिया हो। गाँव के बुज़ुर्ग कहते थे कि उस गुफा में “चौधरी साहब” की आत्मा भटकती है — एक ज़मींदार जिसने सालों पहले अपने नौकरों को ज़िंदा दीवारों में चुनवा दिया था। लोग उस जगह को देवता का शाप मानते थे। पहला अध्याय — चेतावनी की रात एक दिन गाँव के तीन दोस्त — राजू, भीम, और सुरज — शाम को चाय पीते हुए उसी गुफा की बातें कर रहे थे।
अंधेरी गुफा - 1
(एक रहस्यमयी भयावह कथा)बिहार के एक छोटे से गाँव कुरहारी के पास, पहाड़ियों के बीच एक पुरानी गुफा थी जिसे लोग “अंधेरी गुफा” कहते थे। कोई नहीं जानता था कि वो कितनी गहरी है, पर इतना सबको मालूम था कि वहाँ से कभी कोई वापस नहीं आया… जो गया, वो गुम हो गया — जैसे ज़मीन ने निगल लिया हो।गाँव के बुज़ुर्ग कहते थे कि उस गुफा में “चौधरी साहब” की आत्मा भटकती है — एक ज़मींदार जिसने सालों पहले अपने नौकरों को ज़िंदा दीवारों में चुनवा दिया था। लोग उस जगह को देवता का शाप मानते थे।पहला अध्याय ...Read More
अंधेरी गुफा - 2
भीम और सुरज पागल होकर भागे — पर गुफा का हर रास्ता अब घूम कर वहीं आ जाता था।दीवारों अब तीन परछाइयाँ थीं — तीनों की ही... लेकिन एक परछाई ज़िंदा हिल रही थी।पाँचवाँ अध्याय — सुबह की खामोशीअगली सुबह गाँव वालों को जंगल के पास सुरज बेहोश मिला।उसकी आँखें खुली हुई थीं, लेकिन वो बोल नहीं पा रहा था।जब उसे होश आया, वो बस इतना बोला —“दीवारें... साँस लेती हैं...”लोगों ने खोज की, पर राजू और भीम का कोई निशान नहीं मिला।सुरज कुछ हफ़्ते बाद पागल हो गया।वो रातों में गुफा की दिशा में देख कर हँसता और ...Read More
अंधेरी गुफा - 3
Part 3 / Episode 3 — “अंधेरी गुफा: अंतिम संकेत”“अंधेरी गुफा: अंतिम संकेत”रात गहराती जा रही थी।गाँव के बाहर में कुछ अजीब सा बदलाव महसूस हो रहा था।पेड़ों की पत्तियाँ खुद-ब-खुद हिल रही थीं — जैसे कोई साँस ले रहा हो।गाँव के चौपाल पर कुछ लोग इकट्ठे थे — हरनारायण दादा, पंडित जी, और कुछ नौजवान।सब अरविंद के गायब होने पर चर्चा कर रहे थे।“ये अब तीसरा हादसा है… बीस साल में फिर वही गुफा!” पंडित जी बोले।हरनारायण ने धीमी आवाज़ में कहा —“इस बार बात कुछ और है… इस बार गुफा खुद किसी को बुला रही है।”पहला ...Read More
अंधेरी गुफा - 5
अंधेरी गुफ़ा – भाग 5 : “आवाज़ जो लौट आई” (पूर्ण संस्करण)रात गहराई हुई थी। पूरा गाँव नींद में था, पर हवा में एक अजीब-सी सरसराहट थी — जैसे कोई फुसफुसा रहा हो।ललिता की नींद टूटी। वह हड़बड़ा कर उठी और चारों ओर देखने लगी। मिट्टी की दीवारों पर दीये की लौ काँप रही थी।अचानक उसका ध्यान अपने हाथों पर गया — वही लाल माला!उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। यह माला तो उसने महीनों पहले महेश के गले में डाली थी… उस रात… जब सब कुछ खत्म हो गया था।वह घबरा कर घर से बाहर निकली। बाहर ...Read More
अंधेरी गुफा - 4
अंधेरी गुफा: रात का दरवाज़ारात का समय था।गाँव में सन्नाटा पसरा हुआ था — जैसे धरती खुद साँस रोककर हो।गुफा के पास बने शिवमंदिर की घंटियाँ बिना हवा के हिल रही थीं।टेंट में डॉ. सिया और निखिल जाग रहे थे।रवि की चीख अब भी उनके कानों में गूँज रही थी।सिया ने अपनी डायरी खोली —“गुफा ने फिर एक आत्मा ले ली। अब दरवाज़ा रात को खुलेगा — यही संदेश मिला है।”पहला दृश्य — नीली रोशनी का रहस्यआधी रात को, पहाड़ी की तरफ से वही नीली रोशनी दिखाई दी।सिया बोली — “यही वो समय है। अगर आज हम गए, तो ...Read More