हुक्म और हसरत

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हुक्म था — बचाओ, हसरत थी — छीन लो... और मोहब्बत कभी इजाज़त नहीं मांगती।" "प्यारे Parahearts परिवार, अध्याय 7 में मुझसे अनजाने में प्रातिलिपि पर रेटिंग लिख दी गई, जबकि मेरा इरादा मातृभारती के लिए था।? मैं खुद भी प्रातिलिपि पर लेखक हूँ, इसलिए यह भूल हो गई, क्षमा चाहती हूँ।"

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हुक्म और हसरत - परिचय और ट्रेलर!

परिचय और ट्रेलर! हुक्म था — बचाओ, हसरत थी — छीन लो... और मोहब्बत कभी इजाज़त नहीं आपकी लेखिका की तरफ से: Diksha मिस कहानी सब से पहले तो आप सभी का दिल से धन्यवाद ,जिन्होंने मेरी कहानी चुनी, अपने कीमती वक्त से समय निकाल कर।मैं इस प्लेटफॉर्म पर नई हूं,भूल चूक हो तो माफ करे। नोट:1.एक अध्याय को लिखने में दो से तीन दिन का वक्त लगता है,तो अगर आप समीक्षाएं न दे सके तो,कृपया रेटिंग्स जरूर दे! जब ताज झुके मोहब्बत के आगे... और रक्षक बन जाए सबसे बड़ा ख़तरा! ,समर्पण️️ ...Read More

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हुक्म और हसरत - 1

हुक्म और हसरत सिया+अर्जुन अर्सिया#ArSia“ताज पहनना आसान नहीं होता,जब हर नजर तुझसे हिसाब माँगती हो…”“महाराज साहब, फ्लाइट उतर चुकी के पुराने मंत्री ने धीमे स्वर में कहा।“मुझे बताओ नहीं, सीधा उससे कहो... कि वो अब इस घर में मेहमान नहीं, वारिस है।”राजा वीर सिंह राठौड़ ने अख़बार मोड़ा और चाय की प्याली आगे बढ़ाई। “मुझे लग रहा है, अब भी मैं किसी फ्लाइट में बैठी हूं...”सिया ने खिड़की की ओर देखते हुए धीरे से कहा। पांच साल बाद लौट रही हो, थोड़ा तो लगेगा, रानी मीरा ने अपनी बेटी के माथे पर हल्का सा चूमा।राजकुमारी सिया राठौड़ — जयगढ़ की सबसे चर्चित, सबसे ...Read More

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हुक्म और हसरत - 2

हुक्म और हसरत “ये महल मेरी कैद बनता जा रहा है…” सिया ने आइने में खुद को हुए बुदबुदाया। लाल रंग की फ्लोरल लहंगे में, बालों को खोले वो जैसे किसी राजकुमारी की ही तरह लग रही थी। टकराव की दस्तक बाहर खड़ी थी। और उसका नाम था — अर्जुन। राजकुमारी जी, अर्जुन सर आपका इंतज़ार कर रहे हैं,” काव्या ने धीमे स्वर में कहा।काव्या उसकी असिस्टेंट थी। “इतनी सुबह? सिया ने कहा। आपकी सुरक्षा की मीटिंग है, मैम। सिया बाहर निकली तो मुख्य हॉल में अर्जुन पहले से खड़ा था। ...Read More

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हुक्म और हसरत - 3

हुक्म और हसरत अध्याय3 #Arsia (सिया+अर्जुन) सिया बालकनी में बैठी अख़बार पढ़ रही जब अर्जुन सामने आया। “आज आपको फंक्शन में जाना है। मेरी टीम आपकी पूरी सुरक्षा की योजना बना चुकी है।” “मैं कोई बम नहीं हूँ, जिसे डिफ्यूज़ करना पड़े,” सिया ने आंखें तरेरते हुए कहा। “आप भावी रानी हैं। और ताज गिरने पर साज़िशें खड़ी होती हैं।” अर्जुन की आवाज़ सधी हुई थी। काव्या दोनों के बीच आई, “आप दोनों को देखकर ऐसा लगता है जैसे महल की दीवारें बोलने ...Read More

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हुक्म और हसरत - 4

हुक्म और हसरत #Arsia अध्याय 4:~“साज़िश और साया” जो लफ़्ज़ों में न कहे, वो नज़रों से कह था, एक ताज था सर पर… मगर दिल किसी की बंदगी कर रहा था।” ****** महल की घड़ी ने सात बजाए। सिया ने तकिये के नीचे से फोन निकाला, स्क्रीन पर उँगली घुमाई और फिर गहरी सांस ली। “फिर से एक महलनुमा सोमवार...” बाहर से कव्या की आवाज़ आई, “राजकुमारी जी, आपकी ड्रेस प्रेस हो चुकी है — हल्दी रंग की साड़ी या ब्लू कुर्ता?” “जो भी कम तंग हो,” सिया ने कहा, “आज ...Read More

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हुक्म और हसरत - 5

हुक्म और हसरत सिया+अर्जुन=अर्सिया #ArSia अध्याय 5 – “रंग और रहस्य” उस को हुए एक हफ्ता हो गया था,और अर्जुन को आए हुए 2 महीने,सिया और अर्जन के बीच अभी भी बहस होती थी। महल के प्रांगण में हलचल थी। आज “जयगढ़ रंगोत्सव” था — जिसमें महल के सदस्य रंगोली बनाते थे, मिठाइयाँ तैयार होती थीं और मेहमानों का स्वागत होता था। सिया सफेद अनारकली में सीढ़ियों से उतरी तो महल की सादगी में जैसे चाँद उतर आया हो। उसके लंबे, खुले बाल लहरों की तरह बह रहे थे। ...Read More

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हुक्म और हसरत - 6

हुक्म और हसरत अध्याय 6 अगली सुबह भोजन कक्ष : भोजन कक्ष में सिया की अभी भी खाली थी। काव्या ने धीरे से पूछा, “आप कुछ खा क्यों नहीं रहीं?” सिया ने अर्जुन की ओर देखा, जो दीवार से टिककर सब पर नज़र रख रहा था। “जब कोई हर पल देख रहा हो, तो भूख नहीं लगती। और जब हर घूंट शक की निगाह में हो, तो पानी भी ज़हर लगता है।” काव्या कुछ कहने ही वाली थी कि अर्जुन वहाँ से चला गया। ...Read More

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हुक्म और हसरत - 7

हुक्म और हसरत सुबह सिया दर्पण के सामने अपने बाल समेट रही थी। पीठ पर लंबे बाल, आँखों में नींद की नमी और होंठों पर एक छोटी सी मुस्कान… रोशनी ने मज़ाक किया — “दीदी, आज आप सपना देखकर मुस्कुरा रही थीं।" "के..क्या?"सिया ने चौंकते हुए कहा, “कुछ... याद नहीं।” मगर उसका चेहरा कुछ और कह रहा था — उसने किसी को छुआ था… किसी को महसूस किया था। शायद अर्जुन को… सिया तकिए पर सिर रख चुकी थी, मगर नींद उससे कोसों दूर थी। धीरे-धीरे आँखें बंद हुईं… ...और ...Read More

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हुक्म और हसरत - 8

️हुक्म और हसरत️ #Arsia अध्याय 8 “धड़कनों का धोखा” महल के गलियारों अब खामोशी दौड़ रही थी। महल में आज कुछ अलग था। सिया और अर्जुन, एक ही जगह थे, लेकिन जैसे दो विपरीत दिशाओं के सितारे। ना आँखों में मुलाक़ात थी, ना होठों पर कोई बात। अगर कभी आमना-सामना हो भी जाता — तो अर्जुन मुड़ जाता, और सिया अनकहे सवालों में खो जाती।काव्या ये सब कुछ महसूस कर पा रही थी। कव्या ने धीरे से सिया को देख कर से कहा, “कभी-कभी चुप्पी उस ...Read More

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हुक्म और हसरत - 9

️हुक्म और हसरत ️ # Arsia ️ अध्याय 9:️ रात को जंगल में:~ भीगी हुई, गाउन की भीगी हुई साटन त्वचा से चिपकी हुई थी। अर्जुन का चेहरा गीला, बालों से पानी टपक रहा था। “तुम मुझे पूरी तरह नज़रअंदाज़ क्यों कर रहे थे?”सिया बोली। "नही तो..बस मैं बिजी था!"अर्जुन ने कहा। “क्योंकि अगर ज़्यादा पास आया…तो खुद को खो बैठूँगा।”उसने मन ही मन सिया के खूबसूरत चेहरे को देख कहा। "आप बताए राजकुमारी,ये बात तो मुझे आपसे पूछनी चाहिए!"अर्जुन की बात पर सिया को सपना याद आ ...Read More

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हुक्म और हसरत - 10

️️हुक्म और हसरत ️️ #Arsia अध्याय 10:🫂️ राजपरिवार की ओर से सिया को एक राज्य — कोटा में सरकारी कार्यक्रम के लिए जाना था। अर्जुन हमेशा की तरह साथ था, लेकिन कुछ बदला-बदला सा। वो चुप था, लेकिन हर वक्त उसकी आँखें सिया पर थीं। प्रेस मीटिंग के दौरान, जब एक पत्रकार ने सिया के कपड़ों पर टिप्पणी की, अर्जुन ने सख़्त लहजे में कहा — “मशवरा देने से पहले आइना देखा कीजिए… राजकुमारी की गरिमा आपकी सोच से कहीं ऊपर है।” सिया चौंकी। वो कभी ...Read More