न्यायालय परिसर का हॉल खचाखच भरा था। वहां वकीलों के अलावा उनके मुंशी, क्लाइंट्स व अन्य कामों से आने-जाने वाले लोग मौजूद थे और वहीं एक अलग कोने में बैठा था एक नौजवान वकील । बदन पर सफेद पेंट व कमीज तथा ऊपर काली जैकेट शरीर किसी फिल्मी अभिनेता जैसा खूबसूरत । बड़ी-बड़ी आँखें व क्लीन शेव्ड चमकता दमकता हुआ चेहरा । वह क चुपचाप बैठा था। न तो उसके पास कोई मुंशी बैठा था और न ही कोई क्लाइंट । वह होंठों पर मुस्कराहट बिखेरे हर आने-जाने वाले व्यक्ति को ध्यानपूर्वक देख रहा था।
वकील का शोरूम - भाग 1
न्यायालय परिसर का हॉल खचाखच भरा था।वहां वकीलों के अलावा उनके मुंशी, क्लाइंट्स व अन्य कामों से आने-जाने वाले मौजूद थे और वहीं एक अलग कोने में बैठा था एक नौजवान वकील ।बदन पर सफेद पेंट व कमीज तथा ऊपर काली जैकेट शरीर किसी फिल्मी अभिनेता जैसा खूबसूरत । बड़ी-बड़ी आँखें व क्लीन शेव्ड चमकता दमकता हुआ चेहरा ।वह क चुपचाप बैठा था।न तो उसके पास कोई मुंशी बैठा था और न ही कोई क्लाइंट । वह होंठों पर मुस्कराहट बिखेरे हर आने-जाने वाले व्यक्ति को ध्यानपूर्वक देख रहा था।तभी वहां किसी गेंद की तरह लुढ़कता हु एक सरदार ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 2
"सिर्फ समझने से क्या होता है सर।""सोचने-समझने से ही बड़ी-बड़ी मंजिलें पार होती हैं मिस्टर शर्मा। मैं अपने आप जो समझता हूं, उसे बहुत जल्दी साबित भी करके दिखाऊंगा।""लेकिन इतनी बड़ी बिल्डिंग का आप क्या करेंगे?" "उसमें में एक बहुत बड़ा शोरूम खोलूंगा।""किस चीज का शोरूम ?"कानून का।""शोरूम में आप बेचेंगे क्या?"कानून की धाराएं।” युवक सपाट स्वर में बोला- “हर धारा का अलग रेट माल की गारंटी ।”“मैं कुछ समझा नहीं।""मिस्टर शर्मा। मेरी नजर में इस दुनिया की सबसे महंगी चीज कानून है। इसे बेचना बहुत बड़े लाभ का सौदा है। मैं अपने शोरूम में वह हर माल रखूंगा, ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 3
"फिर तो आप यह भी जानती होंगी कि हनुमान बिल्कुल वाजिब फीस लेता है जो कहता है, वही करता इस बात को भी जानती हूं।""इस शहर मे तहलका मचने वाला है मैडम ।" हनुमान धीरे से बोला- तैयार हो जाइए।"मैं तैयार हूं।"तो फिर इंतजार कीजिए मेरा या मेरे फोन का। अगली खबर कभी भी आ सकती है।”युवती ने अपनी गर्दन को एक बार फिर जुम्बिश दी। हनुमान ने अपने दाएं हाथ की एक उंगली से अपने माथे को छुआया, फिर फुदकता हुआ ड्राइंगरूम से बाहर निकल गया।उसके जाते ही युवती वहां रखे फोन पर झपट पड़ी।शाम ढल चुकी थी।बैरिस्टर ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 4
ये तुम पूछ रहे हो?" फिर वह यूं बोली, जैसे शिकायतकर रही हो।“हां । ये मैं पूछ रहा हूं। दो।"युवती का चेहरा ऐसा हो गया, जैसे रो देगी।मैं।” तभी युवक बोला- मुफ्त में कोई काम नहीं करवाऊंगा। पूरी कीमत दूंगा।"अब सचमुच रो पड़ी युवती।"इसमें रोने जैसी कोई बात नहीं है।" वह बोला- तुम अपनी सेवाएं बेचती हो और मैं उन्हें खरीदने का तमन्नाई हूँ।अगर तुम इंकार करोगी तो मैं किसी और को ढूंढ़ लूंगा।""ढूंढ लेना ।” एकाएक युवती एक लम्बी हिचकी लेकर बोली- "लेकिन जिस ईमानदारी और वफादारी से मैं तुम्हारा काम कर सकती हूं, शायद दूसरा न कर ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 5
इसके बाद कोइ गला फाड़कर हंसने लगी, कोई फूट-फूटकर रोने लगी तो कोई गंदी गंदी गालियां देने लगी।बैरिस्टर विनोद कानों में उंगलियां ठूंस लीं। सामने वाली युवती अभी भी आतंक से चीखे जा रही थी और अपने आप में सिमटती जा रही थी।न चाहते हुए भी विनोद का चेहरा आंसुओं से भीगता चला गया।"जिस कानून ने तेरी यह हालत बनाई है, रेणु ।" कुछ हीक्षणों में वह बड़बड़ाया - “मैं उसकी इससे भी बुरी हालतबनाऊंगा। उसने तुझे पागल बनाया है, मैं उसे एक ऐसी वेश्याबना दूंगा, जो टके-टके में बिकेगी। मैं उसकी बोटी-बोटी उधेड़कर उसे अदालत में नंगा नचाऊंगा। ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 6
"कोई छोटा वकील केस को ले नहीं रहा।" दूसरा ग्रामीण आहे-सी भरकर बोला- "और बड़ा वकील बड़ी फीस मांगरहा फीस मांग रहा है?""पच्चीस हजार कोई इससे भी ज्यादा ।”“पच्चीस से कम कोई लेने को तैयार नहीं?"नही है"किस-किस वकील के पाए हो आए हो?""गुगनानी साहब के पास । गढ़वाल साहब के पास । पूनम सांगवान के पास । महावीर प्रसाद के पास ।”"तुम कितनी फीस देना चाहते हो?”"हम पंद्रह से ज्यादा नहीं दे सकते।”"और पंद्रह में वे मानते नहीं। क्यों?"“हां ।” "तुम लोग सोलह दे सकते हो?"जी?" दोनों ग्रामीण आंखें फाड़ फाड़कर टुच्चा सिंह की ओर देखने लगे।"भई साफ-सी बात ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 7
लगभग एक सप्ताह बाद!कोर्ट रोड पर लोगों को एक बंगले के निकट एक बहुत बड़ा बोर्ड दिखाई दिया, जिस लिखा था'कानून का असली शोरूमयहां कानून की हर धारा बिकती है। अलग-अलग धाराओं के अलग-अलग भाव । सलाह मुफ्त । जरूरत न हो तो भी एक बार अवश्य आएं। माल अवश्य देखें।प्रोपराइटर - बैरिस्टर विनोदउस बोर्ड को आते-जाते सैकड़ों लोगों ने पढ़ा और दांतों तले उंगली दबा ली। उन लोगों में कुछ जज भी थे, कुछ वकील भी और बुद्धिजीवी भी। बोर्ड पढ़ा सभी ने, मगर समझ किसी के कुछ न आया।और फिर हिचकिचाते हुए कुछ लोग शोरूम का माल ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 8
"क्या हुआ?" जस्टिस दीवान ने सम्मोहित कर देने वाले स्वर में पूछा- कहां खो गई आप?"और फिर, जैसे दीवान मेस्मोरिज्म से बाहर निकल आई ममता। उसने फौरन अपने जज्बात पर काबू पाया तथा स्वयं को संभाल लिया।"सॉरी सर।" फिर वह बोली- "मुझे ऐसा लगा, जैसे यहा आकर मैं सम्मोहित हो गई हूं।""आप मजाक कर रही हैं?" दीवान ने अपने होंठों पर पूर्ववत मुस्कराहट लिए हुए कहा- "किसमें हिम्मत है, जो क्राइम ब्रांच की इस होनहार इंस्पेक्टर को सम्मोहित कर सके। हां, अगर हम सम्मोहित हो गए होते तो और बात होती।""अब आप मजाक कर रहे हैं सर।” ममता तनिक ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 9
मामला बहुत जल्द आपकी अदालत में आएगा सर ।" ममता दृढ़ स्वर में बोली- "मैं उस वकील के बच्चे ऐसे जाल में फंसाऊंगी कि वह तो क्या, उसके फरिश्ते भी कानून की खरीद-फरोख्त भूल जाएंगे।"सुनकर एक बार फिर मुस्करा दिए जस्टिस दीवान। ममता एक ही झटके से उठ खड़ी हुई।"इजाजत दीजिए सर ।" वह बोली- "मैं चलती हूं।" "जाने से पहले हमारी एक सलाह जरूर सुनती जाइए। "जी जरूर ।""जो कुछ भी करना, ध्यान से करना। इंसान किसी खतरनाक नाग को छेड़कर तो शायद बच भी जाए, लेकिन ऐसे वकीलों को छेड़कर बचा नही करता।"मैं बचुंगी। जरूर बचूंगी।""बैस्ट ऑफ ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 10
“सेवा ? आप मेरी सेवा करोगे मालको? आप दुच्चा सिंह की सेवा करोगे।""हमारे धर्म ग्रंथ कहते हैं।" विनोद बोला- गरीबों, लाचारों, अपाहिजों और रोगियों की सेवा करने से बड़ा पुण्य मिलता है।”टुच्चा सिंह ने जब यह सुना तो उसके चेहरे पर जैसे बारह बज गए। उसने यूं विनोद की ओर देखा, जैसे अगर उसका बस चले तो वह उसे कसकर थप्पड़ जमा दे।"सोहणयो ।” फिर वह एक आह-सी भरकर बोला- "मैं माइयवां सच में बड़ा गरीब हूं। मेरे से वड्डा लाचार पूरी दुनिया में और कोई नहीं है। मैं अपाहिज भी हूं और रोगी भी हूं।इसके अलावा और भी ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 11
उन्होंने सोनेकर को भी बैठने का इशारा किया।"हम यहां अपने स्वार्थ से आए हैं डॉक्टर सोनेकर।" फिर वे बोले- सरकारी काम से नहीं आए हैं।""फिर भी सर...।"""फिर भी ये कि एक जज बन जाने से हम बड़े नहीं हो गए। हमारी माताजी अक्सर कहा करती हैं कि इंसान धन-दौलत, पद या उम्र मात्र से बड़ा नहीं हो जाता। बड़ा वह तब बनता है, जब वह अपनी धन-दौलत का सदुपयोग करे, अपने पद की गरिमा को बनाए रखे और जिसमें बड़प्पन हो। डॉक्टर साहब, हम आज जज हैं, कल हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बन सकते हैं। ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 12
किसी बंदर की तरह उछलता हुआ हनुमान नगर के बाहर स्थित एक ढ़ाबे पर पहुंचा। उस समय शाम के बजे थे तथा ग्राहक के नाम पर वहां साधारण-सा कुर्ता पायजामा पहने एक युवक बैठा था। उसके चेहरे पर घनी दाढ़ी-मूंछें तथा आंखों पर सुनहरी तार वाला चश्मा था। हनुमान ने उसके चारों ओर सतर्क दृष्टि से देखा, फिर सीधा उस नौजवान के पास पहुंच गया। उसे देखकर होंठों पर मुस्कराहट आ गईनौजवान के। उसने हुनमान को बैठने का इशारा किया। हनुमान उसके सामने बेंच पर बैठ गया।"कैसा है हनुमान?" फिर युवक ने अपना तारों वाला चश्मा उताकर पूछा- "यहां ...Read More
वकील का शोरूम - भाग 13
दुच्चा सिंह अंजुमन को एक टॉयलेट साफ करते हुए मिला।“सरदारजी।" वह चिल्लाकर बोली - "आप ये क्या कर रहे साफ कर रहा हूं। कोई शू-शू या ची-ची करणेजाए तो उसे जगह साफ मिल सके। एक बहुत बड्डे शख्स ने कहा था, इंसान जितणा बढ़िया टॉयलेट में बैठकर सोच सकताहै, उतणा और कहीं नहीं सोच सकता।""लेकिन ये काम आपका नहीं है।""तो फिर किसका है?" दुच्चा सिंह ने आंखें निकालकरपूछा।"किसी सफाई कर्मचारी का।"“सफाई कर्मचारी कोई माइयवां आसमान से टपकता है? जिसने भी हाथ में झाडू उठा ली, बन गया सफाई कर्मचारी,जैसे कि में।""लेकिन आप तो वकील हैं?""मेरे माथे पर लिखा है, ...Read More