कुछ अजीब से ही रंग है जिंदगी तेरे
बारिश में भी कितने यहां प्यासे खड़े।
गमों को यहां सब हंसकर छिपाते हैं ।
और खुशियों में आंखों से आंसू लुटाते हैं
देता नहीं अब दिल पर कोई दस्तक
सब खुद में ही मशरुफ से नज़र आते हैं ।
आइना भी कहां पहले सी सूरत दिखाता है
खुश रखने को तुझसे ही तेरे राज़ छुपाता है ।
सुनाने चला जो उनसे, मैं दिल ए हाल अपना
वो खुद एक कांधे की तलाश में खड़े दिखाई देते हैं ।
सरोज प्रजापति ✍️
- Saroj Prajapati