हम थके हुए इंसान हैं,
अब थोड़ा ठहरने दो...
बड़ी दूर से आए हैं,
ज़िंदा तो रहने दो।
इतने सवाल क्यूँ पूछते हो,
जब पता है तुम्हें —
मेरे पास कोई जवाब नहीं।
मैं आया हूँ बस एक मुलाक़ात की खातिर,
उस मुलाक़ात की...
जिसमें तुमने मुझे कभी देखा ही नहीं।
तुमने कैसा जवाब दिया था मुझे?
जिसे मैं आज तक
समझ पाया नहीं...
मैं तो भूलना चाहता था तुम्हें,
पर क्या करूँ —
तुम्हारे अलावा किसी और से
मोहब्बत कर पाया नहीं।