फिर भी क्यों?
है माँ वह, है बहन वह,
है बेटी और बहू भी।
फिर भी क्यों?
करते हो तुम उस स्त्री को परेशान?
है पूजते उसे दुर्गा, अंबे, काली के नाम से,
फिर भी क्यों?
करते हो उसे परेशान?
अकेली जो मिल जाए, तो छेड़ते हो,
अगर कुछ कह दे, तो उसे ही दोषी ठहराते हो।
ना दहेज लाई, ना बेटा हुआ —
बस इतना ही कसूर था — जो जान से मारते हो?
फिर भी क्यों तुम भूल जाते हो,
जिसने तुम्हें जन्म दिया — वह भी एक स्त्री है।
फिर भी क्यों?
करते हो उसे परेशान?
Sorry all women's!🙏🏼😶🌫️