💔 वादों की ख़ामोशी 💔
गुलशन में चाहत के फूल खिले,
पर ख्वाबों की शाखों से चुपके से गिर गए वादे।
ज़िन्दगी की किताब के पन्ने भी अब गीले हैं,
हर लफ़्ज़ में बसी है वो ख़ामोश हँसी की परछाई।
दरिया था मोहब्बत का, पर कोई पार ना मिला,
दर्द की लहरें चुपचाप सीने में उतर आईं।
राहत आई कई बार, पर रुकी नहीं कहीं,
हर पल बदला वक़्त ,पर चेहरा वही छाया लिए बैठा है...
_Mohiniwrites