मांगने पर मिली हुई चीज वो नहीं होती जो मांगी गई थी।
जैसे मदद मांगने पर एहसान मिलता है
साथ मांगने पर तरस
प्यार मांगने पर उलाहना
समर्पण मांगने पर गुलामी
इज्जत मांगने पर दिखावा
और रक्षा मांगने पर आसरा
पर वो कभी नहीं मिलता जो आप सच में चाहते थे । इसलिए मांगना व्यर्थ है। देना त्यागना सहज
- rakhi jain