🌧️ व्यथा 🌧️
सुकून के कुछ पल थे,
एतबार से सजे हुए सपने थे।
कल फिर मुस्कुराया था दिल,
जब हम राहों में टूटे क़दमों से चले थे।
फूल खिले थे,
बरसे थे मेघ जैसे किसी याद की तरह,
नैन तरसे थे —
तेरी एक झलक के इंतज़ार में।
चल, लौट आ...
मंज़िल अब भी दूर है,
पर इश्क़ —
अब भी तुझसे ही हारा हुआ है।
हर चाहत में डूबे हम,
कोई पुकारे तो अब बहकना नहीं,
क्योंकि माही रूठा है मेरा,
और बता तुझे सोच-सोच
अब भी कोई मेरी तरह तड़पता है!!
_Mohiniwrites