*Bas Ek Sawal*
दिल में अफ़सोस क्यों रखूं,
जहाँ गए, वो लम्हे तो ठहरे भी नहीं।
दर्द कितना था
किसी ने पूछा तक नहीं।
तू मेरी कमज़ोरी में
मुझे ही ढूंढता रहा,
और मैं…
तेरी ख़ामोशी में खुद को खोती रही।
अब ना तू रोकता है,
ना मैं रुकती हूं।
हमने चाहा,
पर समझा नहीं।
ख़ालीपन तो अब भी है,
बस तू नहीं है।
एक बात पूछूं?
तू भी कभी टूटा था…
या सिर्फ मैं ही थी?
_Mohiniwrites