होती है कुछ लड़किया 🙋♀️
जो नही छोड़ना चाहती खुली दो लट
लेकिन हड़बड़ी मे कलिप लगाना भूल जाती है!
जो भरने मे मदद करती है उस घर की किस्त
जो कुछ महीने, सालों के बाद मायका हो जाना है!
रखती है राशन, बिजली, खर्चे जमा पूंजी का पूरा
लेखा-जोखा, जबकि एक दिन कट जाना है उसी
राशनकार्ड से नाम अपना!
10 रुपये को बचाने, कई कदमों के फुथपाथ को नाप देती है
घर से जिम्मेदारी को लेकर निकली, भीड़ के महासागर को पार करने के लिए कोने मे दुबक कर जाती है!
अंतर्मन मे संघर्ष, चेहरे पर मुस्कराहट लिए जीती है
माँ की दवाई, पापा के चहरे पर खुशी लाने हमेशा आगे खड़ी रहती है!
दुनिया से तालमेल मे चुकने पर खुद पर चिल्ला पड़ती है
चलते हुए दुपट्टे को मुख मे दबा चीख मार रोना जानती है!
अपनों की खुशी के लिए हर रोज अपनी ख्वाहिशो का गला
गोट देने का एकतरफा हुनर को बखूबी निभाती है!
वो लड़किया फिर भी हर रोज पराये घर की कहलाती है
तकिये को सुनाती है उनकी आँखे अपना हाल-ए -दिल
बिना करवट बदले, वो कल के दिन की जंग की तैयारी करती है!
मिले कभी कोई मुझे ऐसी लड़की तो सुन लेना चाहूंगा
तश्लि संग उसका दिल ए हाल, वो सारी बातें जो हर रोज उसे कचोटती है, रो लेने दूंगा अपने कांधे पर टिकवा कर सर
खलल न पड़े इसलिए हो जाना चाहूंगा निर्जीव इंसान
जाते हुए एकटक देखूंगा उसकी वो मुस्कान, जो दबी हुई थी
सालों-साल,
सुनो जहाँ कही भी हो, मै सुन रहा हु
जितना कहोगी उससे ज्यादा महसूस कर रहा हूँ....!!!