स्त्रीयाँ..!!✨🍁
नदिया सी ही तो होती है स्त्रीयाँ
जैसे प्रकृति मे समाई खूबसूरतीयाँ
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बेह जाना और सेह जाना है स्वभाव
जो नहीं चाहती कभी माफियाँ ,
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घुल जाये कहीभी औरो को भी संभाले,
बिठाती अपने भीतर गंदगीसे गुस्सेकी गर्मीयाँ
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प्यास बुजाती कभी डुबोती प्रेम से खुद मे,
हो जाये कभी गुस्सेमे संदिग्ध बनके दरियाँ ..!