Hindi Quote in Book-Review by Hemant Parmar

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आप स्त्री पर कुछ भी लिखिए,
सब पढ़ेंगे.
आप प्रेम पर कुछ भी लिखिए,
सब पढ़ेंगे.

मगर स्त्री और प्रेम को जोड़ता हुआ
अपनी संवेदनाएं और अपनी उम्मीदें
सिर्फ अपने हृदय में रखने वाला
'पुरुष'

उसके हिस्से में कविताएं नहीं आतीं,
उसके हिस्से आते हैं , तो सिर्फ 'आरोप'
आरोप ~ वासना के, आरोप ~ हिंसा के
आरोप ~ कुछ ज़्यादा ही
स्वच्छन्द होने के.

मगर याद रहे, स्त्री और प्रेम अकेले
एक दूसरे के पूरक नहीं हो सकते.

माँ का फटा आँचल सबको दिखता है,
बाप के शॉल की पैबंद
किसी को नहीं दिखती.
बहन की राखी सबको दिखती है,
मगर ... उस राखी के उपहार हेतु
बहाया हुआ भाई का पसीना
किसी को नहीं दिखता.

किसी की प्रेमिका का
किसी और से विवाह
इसमें स्त्री आगे बढ़ जाये, तो वो मजबूर
अगर प्रेमी किसी और से विवाह करे,
और आगे बढ़ जाये, तो वो मतलबी.

जहाँ सच्चा प्रेम है , वहाँ आपको
एक पुरुष मिलेगा ☞ प्रेमी के रूप में
एक पुरुष मिलेगा ☞ पति के रूप में
एक पुरुष मिलेगा ☞ भाई के रूप में
एक पुरुष मिलेगा ☞ पिता के रूप में
एक पुरुष मिलेगा ☞ बेटे के रूप में

जो हर जगह, हर परिस्थिति में
एक स्त्री के साथ खड़ा है.

मगर उस पर ... कोई कुछ नहीं लिखेगा.
क्योंकि स्त्री पर कविता लिखकर
किसी स्त्री को रिझाया जा सकता है,
उस पर तालियाँ बटोरी जा सकतीं हैं.
उसकी पुस्तकें लिख कर
बेची जा सकती हैं.
क्योंकि पुरुष पर कविता
कोई नहीं खरीदेगा.
क्योंकि पुरुष पर कविता
बिकती नहीं है...!!!

Hindi Book-Review by Hemant Parmar : 111960060
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