ज़िन्दगी से जो भी मिला
जिसे स्वीकार करना आ गया...
समझो उसे जीना आ गया...
दर्द से रिसते जख़्मों को जिसे
ख़ामोशी से सिलना आ गया...
समझो उसे जीना आ गया...
कड़वाहट भरी ज़िन्दगी में
जिसे मिश्री सा घूलना आ गया...
समझो उसे जीना आ गया...
-️️️️️Sonali Pankaj️️️