स्टेटस में आग,
प्रोफाइल में क्रांति,
और ज़िंदगी सामने आए
तो आवाज़ गले में मर जाती है।
मोहब्बत अगर मिल जाए
तो वही ज़िंदगी बना देते हैं—
उसी के लिए सपने, शब्द, वादे,
पूरी कायनात लिख डालते हैं।
और जब मोहब्बत टूटती है
तो दर्द बहाने के लिए
पूरी टाइमलाइन छोटी पड़ जाती है,
हर पोस्ट एक आँसू बन जाती है।
पर जब समाज का दिल टूटता है,
जब हक़ कुचले जाते हैं,
तब ये लोग नेटवर्क खोजते हैं,
तब रीच ज़्यादा ज़रूरी हो जाती है।
दिल टूटा तो शायर,
हक़ टूटा तो दर्शक—
ये वही कलमें हैं
जो अपने दर्द पर चीखती हैं
और दूसरों के दर्द पर
म्यूट हो जाती हैं।
मोहब्बत ने इन्हें जिंदा रखा,
डर ने इन्हें मरा हुआ।
सोशल मीडिया पर साँसें,
असल ज़िंदगी में ज़िंदा लाश।
जो अपने लिए नहीं बोले,
जो सच के लिए नहीं जले—
वो दिशा नहीं देते,
वो बस ट्रेंड के पीछे
खुद को घसीटते हैं।
आर्यमौलिक