-आदमी आदमी के बगैर
आदमी आदमी के बगैर
अधूरा सा रह जाता है,
जैसे बिना दीप बाती
अंधेरा मुस्काता है।
कदम बढ़ते हैं तो साथ चाहिए,
सपनों को भी हाथ चाहिए,
एक हाथ से जीवन चलता नहीं,
हर मंज़िल को साथ चाहिए।
किसान की मेहनत, मज़दूर का पसीना,
शिक्षक का ज्ञान, माँ की करुणा,
हर रिश्ता, हर श्रम, हर भावना
आदमी से आदमी की साधना।
कोई राजा हो या हो फकीर,
सबकी राहें जुड़ी हुई हैं,
बगैर आदमी के आदमी की
तक़दीरें टूटी हुई हैं।
इसलिए न घमंड, न दूरी रख,
इंसान से इंसान जुड़ा रह,
क्योंकि इस दुनिया की सबसे बड़ी
पूँजी — आदमी का आदमी है।
आर्यमौलिक