महापरिनिर्वाण दिवस पर
(डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर को नमन)
विचारों की मशाल लिए जो अँधेरों से लड़े,
जहाँ मानव का मूल्य जाति की दीवारों में घिरा।
जिसने समाज के घावों पर न्याय का मरहम दिया,
समता–स्वातंत्र्य का पक्का वचन हमको दिया।
किताबों में डूबा, रातों की नींदें जिसने छोड़ी,
वह भारत की धड़कन में आज भी जीवित है।
मनु की जंजीरों को तोड़, नई रोशनी मोड़ी,
इतिहास के पन्नों पर उसका नाम अंकित है।
ये दिवस न केवल विदाई, यह चेतन का उजास,
अन्याय के विरुद्ध उठी आवाज़ें बुलाती हैं।
हर पीढ़ी से माँगता संघर्ष का नया प्रयास,
अधिकारों की राहों में समता सजाती हैं।
तुम गए नहीं बाबासाहेब, तुम युग-युग संग हो;
हमारे कर्मों में, हर जागरूकता के रंग हो।
✍️✍️✍️ ®amesh $olanki✍️✍️✍️