न होगा दीवाना कोई तेरी इस तस्वीर पे…
न होगा दीवाना कोई तेरी इस तस्वीर पे,
न मर मिटेंगे यहाँ लोग तेरी तक़दीर पे।
यहाँ तो चाहत भी सौदों में तौल दी जाती है,
कौन दिल हार दे अब किसी की बेवफ़ा तासीर पे।
मोहब्बतें अब किताबों के किस्सों में सिमट गईं,
लोग इश्क़ ढूँढते हैं बस चेहरे की चमक-नज़ीर पे।
तू समझता है कि दुनिया तेरे हुस्न पर मर जाएगी,
अब मरते हैं लोग बस दौलत और ज़मीर की ख़ैर पे।
कभी तो कोई था जो जागता था तेरे ख़्वाबों के लिए,
आज सब सोए पड़े हैं अपनी-अपनी तक़रीर पे।
दिलों में जज़्बात की बारिश नहीं होती अब,
हर कोई चलता है बस सूखे हुए ज़मीर पे।
अगर इश्क़ सच्चा हो, तो तस्वीरे नहीं बोलती,
वो धड़कनें उतर आती हैं इबादत की तदबीर पे।
जो तुझे पा के भी रख न सके दिल से, ऐ सनम,
वो आँसू बहाएगा उम्रभर, तेरी एक तसवीर पे…
आर्यमौलिक