"माँ"
माँ फिर से चुप कराओ ना,
आपकी बेटी अब अंदर से रोती है।
माँ कोई लोरी सुनाओ ना,
आपकी गुड़िया पल ना सोती है।
माँ आँचल में छुपाओ ना,
एक दर्द की तकलीफ बहुत होती है।
माँ मेरे बचपन की बताओ ना,
जो मेरी यादों के सुनहरे मोती है।
माँ, माँ सीने से लगाओ ना,
आपकी लाड्डो बड़ी बेबस होती है।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️