“मेरे सब कुछ… तुम”
दिल की कसक, आँखों की तलब हो तुम,
रातों के सन्नाटे में, मेरी यादों का सबब हो तुम।
हर सफ़हा तेरे इश्क के जमाल से मुनव्वर है,
खामोशियों में गूंज, मेरी राहत-ए-लब हो तुम।
ये मोहब्बत की रवानी, ये वस्ल की बेताबियां,
मेरी रुह, मेरी धड़कन, मेरा क़ल्ब हो तुम।
तेरी यादों की नमी में भीगता मेरा हर लम्हा,
मेरी तन्हाइयों का सुकून, मेरा जज़्ब हो तुम।
हर इक आहट पर तलाशती है निगाहें तुझे,
मेरे दिल की सदा, मेरी इबादत, मेरे अदब हो तुम।
ये कैसी बेखुदी 'कीर्ति," ना कहा जाए ना रहा जाए,
मेरी ज़िन्दगी, मेरा मुक़द्दर, मेरा सब हो तुम।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
कसक = तड़प
सबब = कारण
सफ़हा = पन्ना
जमाल = खूबसूरती
मुनव्वर = रोशन
राहत-ए-लब = लबों की राहत
वस्ल = मिलन
क़ल्ब = दिल
जज़्ब = भावना, एहसास से भी गहरा
सदा = पुकार
इबादत = भक्ति, पूजा
अदब = मोहब्बत में तहज़ीब