🌕 शरद पूर्णिमा की रात 🌕
चाँद सोलह कलाओं से मुस्कराया,
धरा पर अमृत का सागर बरसाया।
राधा संग कृष्ण रास रचाए,
मधुर स्वर में बंसी गीत सुनाए।
आकाश गगन था उज्जवल बना,
हर दिल में उमड़ा था प्रेम घना।
शीतल किरणों ने तन को छुआ,
भक्ति का दीपक मन में जला।
उस रात स्वर्ग धरा पर आया,
हर जीव ने आनंद अपार पाया।
शरद पूर्णिमा का पावन पर्व,
देता है जीवन को मधुर गर्व। ✨