राजस्थान की धरती वीरों और वीरांगनाओं की तो है ही, पर आजकल यहां एक और जंग छिड़ी हुई है, एक ऐसी जंग जो न चित्तौड़ के किले पर लड़ी जा रही है और न जैसलमेर के धोरों में। यह असली रणभूमि है – राजस्थान अध्यापक भर्ती परीक्षा। यहां तलवार की जगह बाल विकास का पेपर है, और घोड़े की जगह सीकर के कोचिंग सेंटर। यह युद्ध कोई राणा प्रताप नहीं लड़ रहा, बल्कि हजारों नहीं लाखों "भविष्य के संभावित गुरुजी" लड़ रहे हैं – जो हर भर्ती को "अंतिम अवसर" मान चुक होतेे हैं।
- Rohan Beniwal