"बर्बादियों का दौर चल पड़ा है।
मनुष्य मर रहे हैं,
पशु-पक्षी मर रहे हैं,
पेड़ सूखकर मर रहे हैं,
खेत उजड़कर मर रहे हैं।
यहाँ तक कि पूरी दुनिया भी धीरे-धीरे
मृत्यु की ओर बढ़ने लगी है।
हर ओर जीवन की साँसें थम रही हैं,
हर ओर अस्तित्व मिट रहा है।
जब सबकुछ नष्ट हो जाएगा,
तो फिर ज़िंदा कौन रहेगा?"
~ Vachana Jalore