Hindi Quote in Poem by vrinda

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जमाने से लड़ के जो मैनें,
उन्हें अपना दुश्मन बनाया है।


जमाने से लड़ के जो मैनें,
उन्हें अपना दुश्मन बनाया है।
आसमानों में उड़नें को,
मैंने यह कदम उठाया है।




पर  ये दुनिया आज भी,
मुझे रोके ही जाती है।
मेरी राहों में ना जाने,
कितने रोड़े ये बिछाती है।


पर  ये दुनिया आज भी,
मुझे रोके ही जाती है।
मेरी राहों में ना जाने,
कितने रोड़े ये बिछाती है।

डाली है बेड़ियां मुझको
मेरे पंखों को भी काटा है।
डाली है बेड़ियां मुझको
मेरे पंखों को भी काटा है।


तोड़ी है उम्मीदें मेरी और
मेरे सपनों को‌ भी यहां कुचला जाता है।
तोड़ी है उम्मीदें मेरी और
मेरे सपनों को‌ भी यहां कुचला जाता है।


हार जाऊं मैं इनसे,
हार जाऊं मैं इनसे

इसलिए....
मुझे जल्दी ब्याहा दिया जाता है।

हार जाऊं मैं इनसे
इसलिए....
मुझे जल्दी ब्याहा दिया जाता है।


जीद छोड़ दूं मैं उड़ने की,
इसलिए चूल्हें चौकें में झोक दिया जाता है। 
जीद छोड़ दूं मैं उड़ने की,
इसलिए चूल्हें चौकें में झोक दिया जाता है। 



ऐसी हालात में रह रह कर
दम मेरा घुटतां जाता है।
ऐसी हालात में रह रह कर
दम मेरा घुटतां जाता है।


चीखूं चिल्लाऊं कितना  भी मैं
ना कोई मेरी मदद को आता है।
चीखूं चिल्लाऊं कितना  भी मैं
ना कोई मेरी मदद को आता है।



यहां दरवाजें बंद है सारें,
यहां दरवाजें बंद है सारें,

सासें आनी भी भारी है।
अब तो लगता है जैसे कि
बलि चढ़ने  की मेरी बारी है।
अब तो लगता है जैसे कि
बलि चढ़ने  की मेरी बारी है।



ऐसी हालात में भी तो,
मैंनें उम्मीद ना‌ हारी है।
अब आ जाओ तुम भी मां
अब लड़ने की तुम्हारी बारी है।

हाथों को थाम लों आकर
मुझको तुम बाहर निकालों ना।
हाथों को थाम लों आकर
मुझको तुम बाहर निकालों ना।


इस घुटन भरे जीवन से‌ तुम
मुझको आकर बचा लो ना।


खो ना जाऊं भीड़ में मै
मुझको कहीं छुपा लो ना।
आंचल फैला दो तुम अपना
मां मुझें खुद में समा लो ना।

तुम साथ रहना सदा मेरे
अब मुझे सब  झूठ लगता है।
हाथ थाम लो ना तुम
मां मुझे भी अब डर लगता है।


मेरा नाजुक सा मन ये भी
बड़ा बेबस सा लगता है।
मेरे मन के जख्मों पर अब तो
कोई भी मरहम ना लगता है।


कोशिश कर लूं मैं कितनी भी
अब सब बेकार ही लगता है‌।
हिम्मत कर लो ना मां तुम भी
नहीं तो  मेरा संघर्ष यह
बेकार ही लगता है।

साथ में लड़ लो ना तुम मेरे
आवाज तुम भी उठा लो ना
साथ में लड़ लो ना तुम मेरे
आवाज तुम भी उठा लो ना
तोड़ दो  तुम ये चुप्पी मां
मुझे अब डर लगता है।

तोड़ दो  तुम ये चुप्पी मां
मुझे अब डर लगता है.......

Hindi Poem by vrinda : 111995534
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