हम तो उनके ख्यालो मे ही डूबे थे,
कि वो हमारे सामने आ गये।
हम अपने जज्बातो मे ही थे,
कि वो और पास आ गये।
और देखते ही देखते
वो हमारे मन पर छा गए।
हम तो बयां करने को एहसास हमारे,
शब्दो को ही खोजते रहे गए।
खोज पूरी भी ना हुई थी,
कि वो और भी पास आ गये।
हम शब्दों को जुबां तक लाए ही थे,
कि वो पत्थर दिल बन,
हमारे सामने अजनबी की तरह, अनदेखा कर गुजर गये।