देखती रही वो राह को जिसपे तेरा आना था।
तकती रही वो मंज़िल को जिसपे मेरा ठिकाना था।
पल पल बरसते बरसात सी आँखे अब सुख गई।
हल पल मिलन की आश भी अधूरी सी रह गई।
लबपर तुम्हरे छुअन की प्यास अधूरी रह गई।
अलगाव से तुम्हारे हर सांस अधूरी रह गई।
बात किए अर्सो हो गए जैसे गुज़रा जमाना था।
अब नहीं आओगे तुम दिल को ये मानना था।
तुम आओगे, संभालोगे, मनाओगे, सवारोंगे
इसी "इंतज़ार" में कटती अब हर रात थी।
- प्रियंका सोनी