मुश्किलों की गहरी छाया में (गीत)
मुश्किलों के बोझ से दिल घबराया,
घर भी आज बेगाना सा है.
काश, पंख होते तो उड़ जाता दूर,
जहाँ न कोई बंधन होता, न कोई फिक्र.
एक नए आकाश की करूं मैं खोज,
जहाँ मिले शांति, न हो कोई बोझ.
मुश्किलों के बोझ से दिल घबराया,
घर भी आज बेगाना सा है.
पर कहाँ जाऊँ? कहाँ मिलेगा वो किनारा?
मन उलझा है, कहाँ ढूँढूँ सहारा?
फिर भी एक आस है, सवेरा ज़रूर होगा,
ये अँधेरी रात भी कट ही जाएगी.
मुश्किलों के बोझ से दिल घबराया,
घर भी आज बेगाना सा है.
DHAMAK