भाग 7: प्रेम बंधन — अंजाना सा
शिव और दादी मिलकर रीना का बहुत ध्यान रखते हैं। रीना को कोई काम नहीं करने देते। सुबह और शाम शिव उसे टहलाते हैं और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ भी करवाते हैं। समय तेज़ी से बीतता है और देखते ही देखते नौ महीने गुजर जाते हैं।
अब डिलीवरी का समय आ गया है। रीना को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। उसे एक वीआईपी रूम दिया गया है जहाँ सब व्यवस्थाएँ पहले से तैयार हैं। थोड़ी देर बाद डॉक्टर बाहर आकर मुस्कराते हुए कहते हैं,
"एम.एस.आर. शिव, आपको बेटा हुआ है। आप सब अंदर आ सकते हैं।"
ये सुनते ही घर में खुशी की लहर दौड़ जाती है। सबसे पहले राहुल दौड़कर बच्चे को गोद में उठाता है और शिव के पास लाकर कहता है,
"भाई! देखो कितना क्यूट है ना बेबी!"
शिव मुस्कराते हुए कहता है,
"है तो बेबी बॉय... लेकिन ये किसका है?"
इतना सुनकर दादी और राहुल जोर-जोर से हँसने लगते हैं। पूरा कमरा खुशी और हँसी से गूंज उठता है।
अगले दिन बच्चे के नामकरण का कार्यक्रम रखा जाता है। रीना के माता-पिता और भाई भी गाँव से आ जाते हैं। पूरे परिवार और नज़दीकी रिश्तेदारों की मौजूदगी में, बच्चे का नाम "रेवांश" रखा जाता है।
नाम रखते ही सब तालियाँ बजाते हैं। दादी भगवान का धन्यवाद करती हैं। रीना की आँखों में खुशी के आँसू होते हैं, और शिव एक शांत मुस्कान के साथ अपने बेटे को निहारता है — मानो ये छोटा सा रेवांश, उनके प्यार की सबसे खूबसूरत निशानी हो।