यदि मेरे शब्दों की गहराई तक तुम्हारी सोच की किरणें ना पहुँच पाएँ, तो मौन ही मेरा एकमात्र सहारा रह जाएगा, और तुम्हारी धारणाएँ सत्य प्रतीत होंगी।
परंतु क्या मौन का अर्थ सदा पराजय होता है?
क्या असली सत्य वही है जो प्रकट हो?
क्योंकि कभी-कभी शब्दों से अधिक मौन की गूंज सब कुछ व्यक्त कर जाती है।