चल, एक जहां सजाते हैं,
खुशियों के रंग मिलाते हैं।
जहां हर लम्हा मुस्कुराए,
और सपने हकीकत बन जाएं।
जहां बादल भी गीत गाते हों,
जहां तारों से बाते हों।
जहां चाँदनी भी शरमा जाए,
और हवा गुनगुनाती रह जाए।
जहां कोई ग़म ना ठहरे,
जहां बस हँसी के पहरे।
जहां हम बेपरवाह उड़ सकें,
अपने मन की हर बात कह सकें।
चल, उस जहां को सजाते हैं,
ख्वाबों की दुनिया बसाते हैं!