तेरी यादों का साया, मेरे दिल से जाता नहीं,
तेरी बातें वो पुरानी, कोई लम्हा भुलाता नहीं।
रात भर चाँद रोता, मेरी तन्हाइयों के साथ,
तेरा नाम लबों पे हो, और कोई बुलाता नहीं।
जो दर्द तूने दिए थे, वो अब तक हैं ताज़ा,
ये ज़ख्म हैं कि मरहम की आदत से आता नहीं।
मोहब्बत की राहों में, बस तन्हाई मिली,
तू गया छोड़कर, पर ये दिल समझाता नहीं।
अब अश्कों में ही तुझसे गुफ़्तगू होती है,
दिल रोता है लेकिन, किसी से कह पाता नहीं।