तनहाई (गझल)
तन्हाई में अक्सर ये दिल रो पड़ा,
तेरी यादों का मौसम यूँ ही खो पड़ा।
चाँदनी रात भी अब साथ नहीं,
साथ तेरा जो छूटा, ये मन रो पड़ा।
ख़्वाब आँखों में थे, पर बिखर ही गए,
कोई आकर के जैसे इन्हें छोड चला।
राह तकते रहे, कोई आया नहीं,
दिल की चौखट पे साया भी ना दिखा
हमने चाहा था तुझसे गिला कीस से करे
शहर अब हमारा नहीं रहा, बसेरा कहा से करे.