पीली चूनर, हल्का रंग,
आई ऋतु बसंत के संग।
फूलों में महके नव गान,
कोयल गाए मधुर तान।
सरसों खेतों में मुस्काए,
पवन सुगंधी साथ लाए।
गगन में उड़ती पतंग प्यारी,
देखो ऋतु कितनी न्यारी।
वीणा संग माँ आई आज,
ज्ञान की बरसे अब सुराज।
हंस सवार, श्वेत परिधान,
देती विद्या का वरदान।
बालक बनें गुणी-सुजान,
जग में फैले सत्य विधान।
मन में हो नव चेतना आई,
ज्ञान-ज्योति हो सदा जगाई।
आओ गाएँ संग में गीत,
माँ का करें सदा वंदन,
ज्ञान, बुद्धि, और प्रेम से,
रखें सदा मन पावन। - ©️ जतिन त्यागी