Hindi Quote in Book-Review by Kishore Sharma Saraswat

Book-Review quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

उपन्यास : जीवन एक संघर्ष
उपन्यासकार : किशोर शर्मा 'सारस्वत'
कुल भाग : 42, कुल पृष्ठ : 940
आज समीक्षा : भाग 38 की

कथानक : दूल्हा-दुल्हन को विवाह के बाद अगली सुबह गाँव की परम्परा के अनुसार मंदिर ले जाया गया। अतिथियों की विदाई के बाद वे चंडीगढ़ पहुँच कर हनीमून के लिए डलहौजी के लिए निजी कार द्वारा एक ड्राइवर लेकर प्रस्थान कर गए। लेकिन पठानकोट से बाहर निकलते ही चढ़ाई शुरू हो गई। ड्राइवर डलहौजी के कुछ पहले सीधी चढ़ाई का अभ्यस्त न था अत: चढ़ाई पर कार चलाने की अभ्यस्त कविता को ड्राइविंग करनी पड़ी।
डलहौजी पहुँच कर उन्होंने अगली सुबह ड्राइवर को चंडीगढ़ के लिए रवाना कर दिया और फिर दोनों विशेषकर रमन ने वहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य का खूब आनन्द लिया। कविता तो इन्हीं वादियों में पल-बढ़कर बड़ी हुई थी और यहाँ के रास्तों से भी परिचित थी।
पहले दिन तो वे डलहौजी में ही घूमते रहे- पहले, गाँधी चौक व बाद में सुभाष चौक। रमन प्रथम बार इतने सुहावने दृश्य देखकर आनंद में डूबा हुआ था। वह जिधर भी देखता, प्रकृति मुस्कुराती ही नजर आती थी।
कविता ने वहाँ से रमन के लिए एक हिमाचल टोपी एक हाफ कोट तो रमन ने कविता के लिए एक महंगा पश्मीना शाल खरीदा। दुकानदार ने कविता की सुंदरता तथा व्यक्तित्व देख कर ही यह कहते हुए शाल दिखाई थी कि इससे बढ़िया शाल कहीं नहीं मिलेगी।
दूसरे दिन उन्होंने अपनी कार के लिए होटल वालों को कहकर एक ड्राइवर बुक कर लिया था जो सुबह ही वहाँ पहुँच गया था।
अब पहले वे लकड़ मंडी पहुँचे जहाँ से खजियार जाने के लिए रवाना हुए जहाँ पूरा रास्ता ढलान में था। खजियार वहाँ से 22 किमी. था जिसे बेहद खूबसूरत होने के कारण *मिनी स्विटजरलैंड* भी कहा जाता है।
होटल आकर वे दूसरे दिन सुबह 56 किमी.दूर चंबा शहर के लिए रवाना हुए। रास्ते में वहाँ की निराली सुंदरता के साथ दोनों ने फोटो खिंचाई और चंबा के सर्वाधिक प्रतिष्ठित लक्ष्मीनारायण मंदिर पहुँचे, साथ ही म्यूजियम, पैलेस आदि को देखा। मंदिरों के शहर चंबा में चौरासी ऐसे मंदिर हैं जिन्हें आठवीं और दसवीं शताब्दी में बनवाया गया था।
बारिश के कारण उन्हें जल्द ही होटल में लौटना पड़ा था।
अगले दिन सुबह भी बादलों की गर्जना और बिजली की कड़क ने उन्हें होटल से बाहर न निकलने के लिए विवश कर दिया। फिर वे प्रकृति और प्रेम पर ही बातों में लीन रहे।
ड्राइवर के आने पर उन्होंने कल सुबह आने के लिए कहा ताकि वह उन्हें चंडीगढ़ छोड़कर आ सके।
एक और सुबह हुई तो बाहर बर्फ की सफेद चादर प्रत्येक वस्तु को अपने में समेटे हुए थी।
वे अपनी कार द्वारा उसी ड्राइवर को साथ लेकर भारी मन और डलहौजी में बिताए सुनहरी मीठी यादों के साथ चंडीगढ़ के लिए रवाना हुए और लुधियाना कुछ ऊनी गिफ्ट खरीदते हुए देर शाम चंडीगढ़ पहुँचे जहाँ भुआ उनकी प्रतीक्षा कर रही थीं।
दूसरे दिन वे पिंजौर गार्डन गए जहाँ का दृश्य स्वर्ग की तरह था। वहाँ रंग महल और जल महल पहुँचकर कविता ने मैनेजर को अपना परिचय देकर सुइट बुक करा लिया। रात वहीं रुक कर दूसरे दिन बुआ के पास ठहरते हुए हुए अगले दिन अपने घर की ओर प्रस्थान कर गए।

उपन्यासकार ने एक तरह से चंडीगढ़ से डलहौजी, खजियार व चंबा का सुंदर वर्णन यात्रा-वृत्तांत की तरह किया है।
कुछ झलकियाँ प्रस्तुत हैं:
- 'काफी सर्दी है, कितनी ठंडी हवा चल रही है।'
- 'यही तो पहाडों की खासियत है। ये हवा और हरियाली न हो तो यहाँ पर कौन आएगा?'
- 'प्रकृति की अजीब विडम्बना है। उसे भी मानो ये ऊँचे पहाड़ और दुर्गम रास्ते ही पसंद हैं।' (पृष्ठ 704)
- प्रकृति ने सारी ने सारी नेमत इन पहाड़ों को बक्श दी है। अपने दाएँ, बाएँ और सामने देखो, कहीं आपको उदासी नजर आती है क्या? ऐसा प्रतीत होता है मानो ब्रह्मांड में स्थित समस्त पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और ये कल-कल करते झरने अपने यौवन की बहार में मदमस्त हों।' (पृष्ठ 717-18)
लेखक ने चंडीगढ़ में पिंजौर गार्डन का वर्णन कुछ इन शब्दों में किया है:
- पूरी नहर को प्रकाश से आलोकित कर दिया गया था। पानी की फुहारें रंगीन प्रकाश के आलिंगन में अनगिनत इंद्रधनुषों का आबोधन करवा रही थीं। ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो स्वर्ग पृथ्वी पर उतर आया हो।
- 'सचमुच आपका यहाँ पर ठहरने का निर्णय स्मरणीय है। यहाँ का एक दिन ही किसी सुहाने सफर के सौ दिनों के बराबर है। अब डलहौजी से वापस आने का मुझे कोई मलाल नहीं रह गया है।' (पृष्ठ 765)
लेखक 84 पृष्ठीय इस अंक को सही मायने में एक यात्रा-वृत्तांत बनाकर पाठकों को चंडीगढ़ से डलहौजी और चंबा के दर्शनीय स्थलों, वहाँ के दुर्गम चढ़ाई के मार्गों, पहाड़ों के सुंदर मनभावन दृश्यों की तुलना यूरोप व स्विट्जरलैंड से करते हुए, साथ में वर्षा व बर्फबारी के कारण मार्ग अवरुद्ध होने सम्बन्धी विविधतापूर्ण चित्रण से पाठकों से अपनी लेखनी का लोहा मनवाने में सफल हुए हैं।

समीक्षक : डाॅ. अखिलेश पालरिया, अजमेर
20.01.202

Hindi Book-Review by Kishore Sharma Saraswat : 111966255
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now