Hindi Quote in Book-Review by Kishore Sharma Saraswat

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उपन्यास : जीवन एक संघर्ष
उपन्यासकार : किशोर शर्मा 'सारस्वत'
कुल भाग : 42, कुल पृष्ठ : 940
आज समीक्षा : भाग 36 की

कथानक : रमन की प्रबल इच्छा थी, कविता से बात करने की। किन्तु अभी करूँ या नहीं, सोचता ही रह गया वह कि खुद कविता का फोन आ गया। कुछ अन्तरंग वार्तालाप हुआ फिर पता चला कि शादी 14 जून को चंडीगढ़ में होगी।
बाद में कविता के मम्मी-पापा से बात करने पर तय हुआ कि वह रमन के साथ जाकर कपड़े व गोल्ड चंडीगढ़ से ही खरीद लेगी।
दोनों निजी कार द्वारा ड्राइवर को साथ लेकर चंडीगढ के लिए रवाना हुए। समय कम था, पहले कपड़ों की खरीदारी की फिर एक रेस्तराँ में डोसा खाया, हनीमून पर जाने के बारे में भी विचार किया और अंत में काॅफी पीकर गोल्ड खरीदने के साथ ही वापसी के लिए कार में बैठ गए।
जिला मुख्यालय पहुँचने तक रात के ग्यारह बज गए थे। क्वार्टर में खाना खाकर रमन विश्राम घर में सोने चला गया और सुबह जब राधोपुर पहुँचा तब जाकर घर वालों को शांति मिली।
जगपाल ने प्रबुद्ध लोगों को शाम को घर आने का न्यौता भेजा ताकि विवाह के बारे में बातचीत हो जाए।
सभी बुजुर्ग जगपाल के घर इकट्ठा हो गए। सबने रमन की तारीफ की और विवाह के लिए मिलजुल कर अच्छी तरह विवाह को निपटाने की बात कही क्योंकि यह विवाह तो गाँव की इज्जत का सवाल था।
सब लोगों के बीच केहर सिंह भी था जो गुमसुम बैठा था, लौटते समय उसने ताऊ हवा सिंह को कहा कि उसने जगपाल व रमन के साथ बहुत बुरा किया था और अब वह इसका पश्चाताप करना चाहता है क्योंकि उसने जगपाल की फसल खराब की, वह बतौर हर्जाने उसकी मदद करना चाहता है। उसने ताऊ को कहा कि वह किसी तरह स्वाभिमानी जगपाल को इस मदद को स्वीकार करने के लिए तैयार करे ताकि वह इस मानसिक बोझ से किसी तरह विमुक्त हो जाए।

इस अंक में सब-कुछ सकारात्मक होने से उपन्यासकार ने पाठकों का मन खुशी से भर दिया है।
प्रस्तुत है, केहर सिंह के बारे में ताऊ द्वारा जगपाल को कहे संवाद के अंश:
- 'कल शाम जब हम लोग यहाँ से घर जा रहे थे तो केहर सिंह मेरे साथ ही हमारे यहाँ पहुँचा। मुझे लगता है, वह जरूरत से अधिक ही बदल गया है। एकदम साधु प्रवृत्ति का हो गया है। अपने पुराने पापों को इसी जन्म में धो डालना चाहता है। क्षमा-याचना तो पहले ही कर चुका है परन्तु अब वह उनसे उऋण भी होना चाहता है।' (पृष्ठ 671)
केहर सिंह का यह परिवर्तन सिद्ध करता है कि बुरा आदमी भी एक दिन बुराई त्याग कर अच्छाई की ओर बढ़ना चाहता है। साथ ही यह भी कि परिस्थितियाँ ऐसी बन जाती हैं कि अतीत का जानी दुश्मन भी हितैषी बन जाता है।

समीक्षक : डाॅ.अखिलेश पालरिया, अजमेर।
14.01.2025

Hindi Book-Review by Kishore Sharma Saraswat : 111965644
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