Hindi Quote in Book-Review by Kishore Sharma Saraswat

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उपन्यास : जीवन एक संघर्ष
उपन्यासकार : किशोर शर्मा 'सारस्वत'
कुल भाग : 42, कुल पृष्ठ : 940
आज समीक्षा : भाग 35 की

कथानक : मुख्यमंत्री द्वारा राधोपुर में स्कूल के उद्घाटन की दूसरी सुबह कविता के पिता ने खुशनुमा माहौल में उसे बताया कि वे राधोपुर में सबके सामने रमन के साथ उसकी सगाई का ऐलान करके आ गए हैं।
कविता के ऑफिस जाने के बाद उसके मम्मी-पापा ने कविता की भुवा-फूफा तथा मामा-मामी को फोन कर आने का निमंत्रण दिया ताकि कविता के विवाह की तैयारियों पर बात की जा सके।
वे सब निश्चित समय पर कविता के सरकारी बंगले में पहुँच गए तो पहले लड़के रमन को लेकर बात हुई, बाद में विवाह की तैयारियों पर। यह भी तय हुआ कि विवाह सुविधाजनक स्थल चंडीगढ़ में ही रखा जाए।
सब-कुछ तय होने के बाद सभी अपने-अपने स्थान के लिए रवाना हो गए।

उपन्यासकार ने इस अंक में मुख्यत: कविता जो जिला कलक्टर है, के घर व ऑफिस की व्यस्तता के चित्रण के साथ ही पहली बार अपने घोषित पति के साथ मीठी बातों के संवादों से भी पाठकों को रूबरू करवाया है, साथ ही परिवार जनों के आत्मीय व कंटीले वचनों का भी आस्वादन कराया है।
प्रस्तुत है, बिगड़े रिश्तों वाले परिजनों के मध्य संवादों की छोटी सी झाँकी:
- 'कौन लोग हैं वो, जहाँ मेरी भानजी को भेज रहे हो चुपके-चुपके?'
- 'देहाती लोग हैं, परन्तु हैं मन के बहुत अच्छे।'
- 'क्या? हमारी बेटी देहात में जाएगी, जहाँ पर इसने अभी तक पैर भी नहीं रखा है? शहर में क्या लड़कों का अकाल पड़ गया है जो नोबत यहाँ तक आ पहुँची?'
- 'गाँवों में क्या इंसान नहीं रहते? बल्कि वहाँ पर अभी भी इंसानियत कायम है। रिश्तों में अच्छाई सर्वोपरि होती है, न कि सूट-बूट के साथ मन की मैल। पति-पत्नी का रिश्ता तो मन मिले का होता है, चाहे वो जंगल में ही क्यों न हो।' (पृष्ठ 631)
लेखक ने छोटी से छोटी बातों का भावनात्मक चित्रण कर इस अंक को भी रोचक और पठनीय बनाया है।

समीक्षक : डाॅ.अखिलेश पालरिया, अजमेर
11.01.2025

Hindi Book-Review by Kishore Sharma Saraswat : 111965377
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