**"कागज़ पर बस दो पंक्तियाँ क्या लिख दीं,
तो लोगों ने मुझे कलाकार कह दिया है।
बाहर देखा, तब एहसास हो गया,
हुनरमंद आज भी बस एक मौके की तलाश में बैठा है।
सच तो ये है, न वो अल्फ़ाज़ मेरे हैं,
न वो ज़ुबान मेरी है।
सुनी-सुनाई बातों की मैंने बस सजावट की है,
लोगों ने मेरी इतनी वाह-वाही कर दी है,
कि उस शोर में उस हुनरमंद की आवाज़ ही खो गई है।"**