Hindi Quote in Book-Review by Kishore Sharma Saraswat

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उपन्यास : जीवन एक संघर्ष
उपन्यासकार : किशोर शर्मा 'सारस्वत'
कुल भाग : 42, कुल पृष्ठ : 940
आज समीक्षा : भाग 27 की

कथानक : कविता की मम्मी का शिमला से फोन आया था तो कविता ने उन्हें अगले सप्ताह आने की हामी भर दी। यह समाचार सुनकर तो कविता के मम्मी-पापी का मन खुश हो गया। लेकिन दूसरे ही दिन कविता को अगले सप्ताह से प्रारंभ होने वाले चार सप्ताह के प्रशिक्षण की सूचना प्राप्त हो गई। अब कविता को वापस फोन कर मम्मी को मना करना पड़ा।
चूँकि गाँव में अभी फोन की सुविधा उपलब्ध न थी अत: कविता ने राजू को फोन कर कहा कि वह उसकी चार सप्ताह की प्रशिक्षण अवधि की सूचना रमन तक पहुँचा दें ताकि वह उस दौरान यहाँ आने की परेशानी न उठाएँ। साथ ही कहा कि प्रशिक्षण का विषय ग्रामीणों की भलाई से जुड़ा है अत: वह वापस आने पर राधोपुर का दौरा कर सकेगी।

आइए, इस छोटे से अंक के कुछ भावनात्मक संवादों व तथ्यों पर दृष्टिपात करें :
- 'मम्मी! बेटी बोझ तो तब होती है जब वह छोटी होती है। उसे हर समय गोद या कंधों पर उठाना पड़ता है। अब तो मैं अपने पाँवों पर खुद चल सकती हूँ तो बोझ की बात कैसे बन गई?' (पृष्ठ 424)
- जब प्राणी बेबस हो जाता है तो प्रकृति सहारा बनकर उसका साथ देती है। आखिर प्राणी जगत प्रकृति का ही तो एक अंश है। जैसे निद्रा में देखा गया स्वप्न जागने पर यादों से विलुप्त हो जाता है उसी प्रकार गुजरते समय की भूलभुलैया में खोकर इंसान बीते वक्त के दु:ख-दर्द को अपने जेहन से उतार देता है। (पृष्ठ 425)
उपन्यासकार कई स्थानों पर अपनी गंभीर विवेचना से सूक्ति वाक्य रच देते हैं जो उपन्यास के शिल्प और कथ्य की शोभा बढ़ाते प्रतीत हो रहे हैं।

समीक्षक : डाॅ.अखिलेश पालरिया, अजमेर
28.12.2024

Hindi Book-Review by Kishore Sharma Saraswat : 111963665
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