उपन्यास : जीवन एक संघर्ष
उपन्यासकार : किशोर शर्मा 'सारस्वत'
कुल भाग : 42, कुल पृष्ठ : 940
आज समीक्षा : भाग 25 की
कथानक : राधोपुर ग्रामवासी नेक जगपाल को ग्राम प्रधान (सरपंच) बनाना चाहते थे और बेईमान केहर सिंह को पटखनी देकर सबक सिखाना। लेकिन एसडीएम से मिलकर आए रमन व दो साथियों से पता चला कि इस केस की जाँच का काम केहर सिंह द्वारा जिलाधीश को अनुरोध पत्र के कारण कविता से किसी अन्य को दे दिया गया है। अब जाँच की प्रतीक्षा करने के सिवाय कोई विकल्प न था।
रमन व कविता असमान पद व व्यक्तित्व होने के बावजूद दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे। दोनों के मन एक दूसरे के लिए व्याकुल थे लेकिन भविष्य में कविता कहाँ स्थानांतरित कर भेज दी जाएगी आदि सब कुछ अनिश्चित होने से वे न तो अधिक मिल सकते थे और न अपने मन की बात किसी से साझा कर सकते थे।
केवल वैचारिक आँधियाँ दोनों के मन में उमड़ती-घुमड़ती रहतीं और वे इस पूरे अंक में व्यथित दिखाई दिए।
उपन्यासकार ने कविता की नौकरानी जिसे वह माई कहती थी, से उसके वार्तालाप तथा रमन की अम्मा की बेटे से बातचीत निम्न संवादों के अंशों द्वारा द्रष्टव्य है:
*कविता व माई:*
- 'क्या बात है माई? आप अभी तक यहीं पर खड़ी हो।'
- 'साहिब, अगर आप हुक्म करें तो बोलूँ?'
- 'हाँ...हाँ, बोलिए क्या बात है?"
- 'आप बहुत बड़ी अफसर हैं, मैं एक छोटी सी नौकरानी हूँ। आपके सामने बोलना मुझे शोभा नहीं देता। फिर भी उम्र में बड़ी होने के नाते मेरा भी कुछ फर्ज बनता है। आपका अकेले कई बार यूँ चुपचाप रहना मुझे अच्छा नहीं लगता, इससे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए मेरा तो यह मानना है, दफ्तर की बातें वहीं पर छोड़ देनी चाहिए और घर पर सुकून की जिंदगी जीनी चाहिए।' (पृष्ठ 393)
*रमन व अम्मा:*
- 'बेटा, क्या हो गया है तुझे? तेरी तबीयत तो ठीक है न? अँधेरे में किस लिए बैठा है? रोशनी तो जला ली होती। मुझे बता, क्या बात है?'
- 'मैं बिल्कुल ठीक हूँ। मेरी तबीयत को कुछ नहीं हुआ है।'
- 'बेटा, माँ हूँ न, मैं नहीं मान सकती। शहर गया था, क्या वहाँ पर कोई ऊँच-नीच हो गई है?'
- 'अरे नहीं अम्मा जी! ऊँच-नीच किस बात की।'
- 'तू जरूर मुझ से छुपा रहा है।' (पृष्ठ 397)
शादी की बात भी माई ने कविता से तथा अम्मा ने रमन से उठाई थी, लेकिन दोनों के पास इसका कोई उत्तर न था।
इस प्रश्न का उत्तर अगले अंकों में छिपा है...देखते हैं, लेखक अपनी कलम द्वारा इनके और कितने संघर्ष पाठकों के समक्ष उजागर करते हैं।
समीक्षक : डाॅ.अखिलेश पालरिया, अजमेर
26.12.2024