मुश्किल बहुत मुश्किल है
और कोई रास्ता भी नही सूझता
मै आँखें बंद कर लू
मगर सच ऐसे नही छुपता
के एक आग हर रोज जलती है सीने मे
और धुँआ भी कभी नही उठता
मै सो जाऊ सुकून से रातों को
मगर नींद का आसरा नही मिलता
एक बोझ है सीने पर मेरे
आँखों से सावन अब नही छलकता
मै चला जाऊ उसपार मगर
इससे चढ़ा हुआ कर्ज भी तो नही उतरता
रहु खोया हरदम या हसु
ये दुनियाँ को कोई फरक तो नही पड़ता
कोशिश कर कर मरू यह ठीक है
बिना कोशिश हार जाऊ ये मुझे नही जचता
मुश्किल बहुत मुश्किल है
और कोई रास्ता भी नही सुझता
-हर्षद मोलीश्री