में सोचता हूं कि ऐ इश्क़ है क्या ????
जो इंसान अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारे वो है इश्क़
और जो इंसान अपने घरवालों की बात मानकर शादी करे
वो है जिंदगी
क्योंकि जिंदगी उन्होंने देखा है हमसे ज्यादा हमने नहीं
इसीलिए वो हमारा अच्छा सोचते हैं कभी ख़राब नहीं
फ़िर भी अगर कूच ग़लत होता है हमारी जिंदगी में
वो है हमारा नसीब इसमें हम किसीको दोष नहीं दे सकते ।।
नरेन्द्र परमार ✍️