दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*छंद,छप्पर,कुशल-क्षेम,मौसम,प्रस्ताव
मुक्त *छंद* के काव्य में, सुर- संगीत-अभाव।
दिल को छूता छंद है,स्वर-सरिता की नाव।।
सब को *छप्पर* चाहिए, जहाँ करें विश्राम।
श्रम की दौलत से सजे, दरवाजे पर नाम।।
मानवता कहती यही, होगी युग में भोर।
मुलाकात होती रहे, *कुशल-क्षेम* पर जोर।।
*मौसम* करवट ले रहा, धूप कहीं बरसात।
जहाँ न वर्षा थी कभी, बरसे अब दिन रात।।
संकट के बादल बढ़े, छिड़ा हुआ है युद्ध।
भारत का *प्रस्ताव* यह, अब तो पूजो बुद्ध।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*